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जौनपुर। नेवढ़िया में मारपीट को पुलिस अगर गंभीरता से लिया होता तो नहीं बनती भयावह स्थिति

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जौनपुर (22जून)। यह तो संयोग ही अच्छा था कि बीते गुरुवार की देर शाम को दो समुदायों के बीच मारपीट नही हुई नही तो किसी बड़ी अप्रिय घटना को नकारा नही जा सकता था। जबकि दोनों समुदाय के सैकड़ों की संख्या में लोग लाठी-डंडे से लैस होकर आमने-सामने हो गए थे। चर्चा यह भी है कि अगर नेवढ़िया पुलिस दो समुदाय के बीच हुई बीते मंगलवार की रात को ही मारपीट को गंभीरता से लेती तो गुरुवार को ऐसी भयावह स्थिति नही बनती। जिसे लेकर क्षेत्रीय लोग पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हुए इस घटना को जोड़ कर देख रहे हैं।
क्षेत्र के काजीपुर दरगाह गांव निवासी बनवारी लाल के पुत्री की शादी में बीते मंगलवार को आर्केस्टा नर्तकियों के साथ मुस्लिम समुदाय के कुछ दबंगों द्वारा छेड़खानी करने का जब अनुसूचित जाति के लोगों ने विरोध किया था तो दबंगों ने उनकी जमकर पिटाई कर दी थी। जिसकी सूचना गुरुवार को पीड़ितों द्वारा नेवढ़िया थाने पर दिया गया था। लेकिन पुलिस उक्त मामले में कोई आवश्यक कार्रवाई ना कर मामले की लीपापोती में जुटी रही। जिसे लेकर दबंगों का हौसला बढ़ता गया और दबंग एक बार फिर गुरुवार को बाजार से लौटते समय पिता पुत्र की जमकर पिटाई कर दी। पुलिस को मामले की गंभीरता से नहीं लेने के कारण दलितों ने इस बार कानून को स्वयं हाथ में लेना मुनासिब समझा। जिसके कारण दलित समुदाय के लोग मारने मरने पर उतारू हो गए। सूत्रों बताते हैं कि‌इस मामले में पुलिस ने अच्छी खांसी रकम भी सुविधा शुल्क के रूप में लिया गया था जिसके कारण पुलिस पुरी तरह निरंकुश रही।

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