जौनपुर (13 जून)। पर्यावरण से लेकर स्वास्थ्य तक के लिए खतरनाक साबित होने वाला पालीथीन प्रतिबंधित होने के बावजूद भी क्षेत्र के बाजारों से लेकर गावों के चौबारों तक के दुकानदारों से लेकर आम आदमी तक के द्वारा धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है। इधर प्रशासन मानो मूकबधिर होकर चुप्पी साधे हुए है। गौरतलब हो कि आज हम भले ही प्लास्टिक युग में जी रहे हों पर इसका प्रयोग हमारे वर्तमान से लेकर भविष्य तक के लिए खतरा बना हुआ है।आज पर्यावरण संकट से लेकर जल और स्वास्थ्य सब दाँव पर लगे हुए हैं।जहाँ पालीथीन के प्रयोग से पृथ्वी पर जल स्तर ,उर्वरा शक्ति आदि मे गिरावट आ रही है वहीं प्लास्टिक से बने गिलास, कप प्लेट आदि में खाद्य पदार्थों के सेवन से डायरिया और अन्य गम्भीर बिमारियाँ अपना पाँव पसारने के लिए लगे हुए हैं।पर जाने किन परिस्थितियों में क्षेत्र में पालीथिन का प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है इसका जबाब किसी के पास नहीं है।गौरतलब हो कि पालीथीन से होने वाले खतरों को भाँपते हुए जहाँ वर्ष 2000 में प्लास्टिक व अन्य जीव अनाशीत व कूड़ा कचरा अधिनियम के तहत प्रतिबन्ध लगाने की कवायद की गई वहीं प्रदेश में वर्तमान भाजपा सरकार 15जुलाई 2018 को पालीथिन का प्रयोग पूर्ण रूप से प्रतिबन्धित करते हुए निर्माण से लेकर प्रयोग पर पांच हजार रूपये या छः माह के कारावास की सजा निर्धारित कर दिया है। इसके बावजूद क्षेत्र के सरायमोहिऊद्दीनपुर, रामनगर, रूधौली, पट्टीनरेन्द्रपुर आदि बाजारों में बेखौफ पालीथीन का प्रयोग धड़ल्ले से होता हुआ नजर आ रहा है। फिलहाल चाहे जो हो यदि इस पर पूर्णतः प्रतिबन्ध नहीं लगा तो वर्तमान के साथ साथ भविष्य भी अन्धकार होने मे कोई कसर नहीं छोड़ेगा।