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जौनपुर। चाणक्य जगदीश नारायण राय गुरूवार को बसपा के हाथी से उतरे, सपा के साईकिल पर हुए सवार

जौनपुर(19अप्रैल)। जिले के कद्दावर नेता जगदीश नारायण राय गुरूवार को समाजवादी पार्टी के साईकिल पर सवार हो गये। सपा में शमिल होने के बाद जिले की राजनीति में हलचल मच गयी । एक तरफ जहां उनके शुभचिंतको में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। वहीं सपा के नेताओ में एक अलग सी हलचल दिखाई पड़ रही है। उधर उनके विधानसभा क्षेत्र के विरोधी पार्टियों के नेताओ में हड़कंप मच गया है। प्रबल सम्भावना है कि 2022 विधानसभा चुनाव में सपा टिकट देकर उन्हें जफराबाद विधानसभा से उतारेगी।
जिले में ही नहीं , पूर्वांचल की राजनीति में ‘चाणक्य’ कहे जाने वाले जगदीश नारायण राय अपने कैरियर की शुरूआत छात्र संघ चुनाव से किया था। श्री राय एक बार ब्लाक प्रमुख तीन बार लगातार बयालसी विधान सभा से विधायक चुने गये ,और दो बार प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। अपने कार्यकाल में जगदीश राय ने जो विकास की गंगा बहायी है उसकी सराहना आज भी पूर्व में बयालसी वर्तमान में जफराबाद विधानसभा क्षेत्र समेत जौनपुर और आसपास के जनपदों की जनता करती है। जगदीश नारायण राय गौराबादशाहपुर थाना क्षेत्र के कबीरूद्दीपुर गांव के मूल निवासी है। श्री राय राजनीति के क्षेत्र में पहलीबार छात्रसंघ चुनाव से कदम रखा तो आज तक पीछे मुड़कर नही देखे। जगदीश राय एक खास मुलाकात में बातचीत करते हुए बताया कि सन् 1969 में राजा कृष्णदत्त महाविद्यालय के छात्र संघ के चुनाव में महामंत्री चुने गये। उसके बाद वे टीडीपीजी कालेज के एलएलबी विभाग का संकाय अध्यक्ष चुने गये। पढ़ाई समाप्त होने के बाद से ही उन्होनें कांग्रेस पार्टी से जुड़कर राजनीति करते रहे। श्री राय ने सदैव राजनीति को समाज सेवा का सशक्त माध्यम माना और अनवरत समाज के हर जाति, धर्म, सम्प्रदाय ,वर्ग अमीर, गरीब सभी के लिए बगैर भेदभाव समर्पित रहे। परिणाम स्वरुप सन् 1989 में वे धर्मापुर ब्लाक के प्रमुख चुने गये। 1993 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने श्री राय को बयालसी विधान सभा से अपना प्रत्याशी बनाया लेकिन सपा-बसपा गठबंधन के कारण उन्हे हार का मुंह देखना पड़ा। सन् 1996 के विधानसभा चुनाव में जगदीश राय ने कांग्रेस छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया। इस बार वे भारी बहुमत से जीतकर पहलीबार विधानसभा में पहुंचे। विधायक चुने जाने के बाद जगदीश राय ने अपने क्षेत्र का विकास शुरू कर दिया। इस क्षेत्र में पुल की कमी के कारण यहां की जनता को जिला मुख्यालय आने जाने के लिए 30 से 35 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती थी। जगदीश ने पुलों का निमार्ण कराने का प्रयास शुरू किया और साथ ही साथ खस्ताहाल हो चुकी सड़कों को सुधारने का कार्य जारी रखा। बिजली पानी के व्यवस्था करने लगे। जिसके कारण 2002 विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह के करीबी भाजपा प्रत्याशी देवानंद सिंह को पूरी तरह से नकारते हुए इस इलाके की जनता ने एक बार फिर जगदीश राय को आर्शीवाद देते हुए अपना विधायक चुन लिया। चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री मायावती ने अपनी सरकार में लघुउद्योग मंत्री बनाया। मंत्री बनने के बाद भी तामझाम से दूर रहते हुए श्री राय जनता की सेवा समर्पित भाव से करते रहे। जिसका परिणाम रहा कि राजेपुर त्रिमुहानी के पास सई नदी पर पुल बेलावघाट के पास गोमती नदी पर पुल, जफराबाद के पास नाव घाट पर पुल, जमैथा गांव में अखड़ो माता घाट पर पुल समेत कुल आठ पुलों का निर्माण शुरू हो गया। गांवो को जोड़ने वाली सड़कों के निमार्ण और मरम्मत का काम होने लगा। बिजली व्यवस्था चुस्त दुरूस्त करने के लिए इन्होंने आधा दर्जन से अधिक सब पावर स्टेशन की स्थापना करवाया। पेय जल के लिए पानी की टंकी और हैण्ड पम्प लगवाना शुरू कर दिया। उनके कार्यो को देखते हुए बयालसी की जनता ने 2007 में तीसरी बार अपना विधायक जगदीश राय को ही चुना। जीत की हैट्रिक लगाने के बाद जगदीश राय जनता की सेवा करते रहे। उधर मायावती इस बार इन्हें स्टाम्प एवं शुल्क पंजीयन विभाग का मंत्री बनाया। कुछ दिन बाद यह विभाग उनसे लेकर रेशम उद्योग और व्यवसायी शिक्षा मंत्री बनाया। जगदीश राय इस कार्यकाल में शिक्षा पर विशेष बल दिया। उन्होने मुफ्तीगंज में राजकीय महाविद्यालय की स्थापना, आश्रम पद्यति विद्यालय और सीतम सराय बाजार के पास आईटीआई कालेज को स्थापित कराया।
जगदीश राय ने अपने कार्यकाल में क्षेत्र में विकास यथाशक्ति तत्पर रहा, पूर्वाचंल विश्वविद्यालय के पास 132 केवीए का पावर हाऊस पूर्वाचंल विकास निधि से स्थापित कराया। कलेक्ट्रेट में बना प्रेक्षागृह की शुरूआत कराया था। अनुपम कालोनी में बना काशीराम गेस्ट हाऊस उनके ही अथक प्रयास का नतीजा है। 2012 विधानसभा चुनाव में बयालसी विधानसभा का नाम बदलकर जफराबाद कर दिया गया। उधर सत्ता परिवर्तन की आंधी और बसपा में हुए बगावत के कारण इस बार के चुनाव में जगदीश राय को मामूली वोटो के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। फिलहाल जगदीश राय अभी भी जनता के बीच रहते हुए उनकी सेवा कर रहे है।अब श्री राय 2019 के लोकसभा चुनाव के साथ बसपा के हाथी से उतरकर सपा के साईकिल का दामन थाम लिया। पूरी सम्भावना है कि पार्टी उन्हें 2022 विधानसभा चुनाव में मैदान में उतारेगी। इसके कारण इस सीट से सपा से चुनाव लड़ने वाले नेताओ में मायूसी छा गयी है। उधर विरोधी पार्टियों के नेताओं में हड़कंप मच गया है। राजनीति के अजातशत्रु कहे जाने वाले जगदीश राय की राजनीतिक पारी को लेकर जहां एक ओर चर्चाओं का बाजार गर्म है वहीं गठबंधन के प्रत्याशियों में काफी उत्साह का माहौल है और वे श्री राय के इस कदम को अपने चुनाव के लिए संजीवनी मान रहे हैं ।

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