शीतला प्रसाद सरोज
जौनपुर(3अप्रैल)। मछलीशहर संसदीय क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी बीपी सरोज ने कहा कि जनता के आशीर्वाद से अगर वह निर्वाचित हुए तो क्षेत्र का वह सर्वांगीण विकास करेंगे। विजली, पानी, सड़क और शौचालय आदि जैसी बुनियादी समस्याओं को कहीं नामोनिशान नहीं होगा।विकास के मुद्दे पर वह किसी को किसी प्रकार का शिकायत का मौका नहीं देंगे।
विधि स्नातक जौनपुर जिले के मछलीशर सु. संसदीय क्षेत्र के गांव मदारडीह निवासी सरोज का महाराष्ट्र के नवीं मुंबई में कंट्रक्शन के क्षेत्र में जाना-पहचाना नाम है।
गृह जनपद के गांव मादरडीह में सरोज का पिता संतपंचप दास के नाम से जहां उनका इंटरमीडिएट कालेज चलता है, वहीं जिले में औद्योगिक क्षेत्र के नाम से मशहूर सतहरिया में उनका व्यापक पैमाने पर पीने के पानी का प्लांट है, जहां सैकड़ों जरूरतमंदों को जीविका के लिहाज से रोजीरोटी मिलती है।
विद्यार्थी जीवन से जुझारू प्रवृत्ति के रहे बीपी सरोज लगभग 20 साल तक बहुजन समाज पार्टी से जुड़कर समाज के हर वर्ग के जरूरतमंदों की यथासंभव मदद की, जिसका नतीजा रहा कि बसपा ने उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव में मछलीशहर से प्रत्याशी बनाया। हालांकि की मोदी लहर के चलते उन्हें वह सफलता नहीं मिली, जिसकी वह उम्मीद किए थे और भाजपा के रामचरित्र निषाद से चुनाव हार गए। मोदी की प्रचंड लहर के बावजूद भी सरोज 2,66,055 मत पाकर दूसरे स्थान पर रहे, जो पूरे पूर्वांचल में किसी भी हारने वाले प्रत्याशी को इतनी बड़ी संख्या में मत नहीं मिला। चुनाव हारने के बाद भी सरोज ने हिम्मत नहीं हारी।
क्षेत्र के लोगों से उनका बराबर संपर्क बना रहा, जिसकी बदौलत वह आज भी लोगों में काफी लोकप्रिय बने हुए हैं। बताया जाता है कि बीपी सरोज बसपा की तोलमोल की नीति से अजीज आ गए थे। उन्हें आशंका थी कि हो सकता है बसपा अबकी बार यानी 2019 के चुनाव में उनका टिकट काट न दे, इस भावना के मद्देनजर वह भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में लगातार बने हुए थे। जिसका नतीजा रहा कि वह 22 मार्च को लखनऊ स्थित भाजपा मुख्यालय में उसकी विधिवत सदस्यता ग्रहण कर ली। इधर सरोज को भाजपा में जाते ही बसपा ने 24 मार्च को जलालपुर में कार्यक्रम आयोजित कर अजगरा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक टी. राम को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। इसकों देखते हुए भाजपा नेतृत्व ने भी अपने सांसद रामचरित्र निषाद की क्षेत्र के प्रति उनकी उदासीनता को देखते हुए और संगठन के प्रबल विरोध के परिणाम स्वरूप निषाद का टिकट काट कर सरोज को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। भाजपा नेतृत्व की ‘लोहा से लोहा काटने की नीति’ को लोग खूब पसंद कर रहे हैं। बीपी को टिकट मिलने से बड़ी संख्या में क्षेत्रीय लोग खुश हैं।