जौनपुर(21फर.)। महराजगंज सीएचसी पर आयोजित नसबन्दी कैम्प में बुधवार को अस्पताल परिसर मे एक आशा और संगनी से मृतक आश्रित कर्मी से युद्ध का मैदान बनते बनते बचा। लेकिन झड़पे इतनी तीखी हुई कि एक दूसरे की औकात देख लेने तक पहुंच गई बाद में बीसीपीएम समेत अन्य कर्मियो ने किसी तरह मामला शान्त कराया। जिसकी चर्चा अस्पताल कर्मियों में थमने का नाम नहीं ले रहा है।
जानकारी के मुताबिक वर्षों पूर्व उक्त आशा अध्यक्ष पद पर रह चुकी है। अपने कार्यों के लिए जाना जाने वाली तेजतर्रार महिला को जनपद के डीएम व तत्कालिक मंत्रियो के हाथो ब्लाक मे प्रथम स्थान के लिए पुरस्कृत भी हो चुकी है। उसके कार्ययोजना की गति को देखते हुए विभाग ने उसे संगनी पद पर तैनाती दी है। बताते हैं कि 20 फरवरी को सुबह नसबन्दी कैम्प मेे किसी महिला के नामांकन को लेकर अन्य कागजात जमा कराने हेतु प्रवीण श्रीवास्तव नामक अस्पताल कर्मी जो मृतक आश्रित पर तैनात है उनसे नसबंदी रजिस्ट्रेशन आशा आविदा बानो से बाता कही हो गयी। जिसकी शिकायत आबिदा ने अपनी आशा संगनी से किया। आरोप है कि आशा संगनी से भी मृतक आश्रित कर्मी ने झंझंट करना शुरू कर दिया। फार्म जमा करने के बावत बात बढ़ते बढ़ते काफी बढ गयी दोनो तरफ से अपनी अपनी औकात दिखने दिखाने तक पहुंच गया। महिलाओं के आक्रोशित होने पर बीसीपीएम सचेन्द्र चौहान व अन्यकर्मचारी समेत तुरंत आगे आकर किसी तरह समझाबूझा कर मामला शांत कराया। लेकिन कर्मचारियों से प्रताडित आशाएं अन्दर ही अन्दर घुटन हो रही है। आशा सुशीला, शीला, आशा देवी, आविदा बानो समेत अन्य का आरोप है कि अस्पताल मे तैनात कुछ नवयुवक कर्मचारी आये दिन अपने पद का दुरूपयोग करते हुए अनायास नौकरी खाने, निकाल फेकने, उनकी मजदूरी किसी अन्य के खाते मे डाल देने, जैसी धमकी के साथ उनके कार्यो की उचित मजदूरी न देकर पैसा डकार लेते है। बताया जाता है कि आये दिन तमाम प्रकार की मानसिक आर्थिक शोषण भी कर्मचारी कर रहे है। आशा महिलाओ ने आरोप लगाया है कि आशाओ के मानदेय के फार्म जमा करने मे भारी धॉधली की जा रही है।
कमिर्यों का आलम यह है कि आशाओ के जमा फार्म की रिसविंग तक नही दी जाती है। जिसके कारण पूर्ण जमा फार्म फाईल से कुछ कागजात फाड़कर अपूर्ण बताकर उनका पैसा डकारने मे तनिक भी संकोच नही कर रहे है। महिला होने के कारण वे अपनी आवाज उठाने मे विवश महसूस कर रही है जिससे प्रताडना सहने को लाचार है। आरोप यह भी है कि उन्हे एक माह मे सात आठ बार 30-30 किमी दूर से बुलाकर बैठक के बहाने कुछ धमकियॉ देकर छोड़ दिया जाती है। जबकि मासिक बैठक आशाओ की उनके ही नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र या ऐनम सेन्टर पर ही नियत है। सभी आशा अपने पूर्व अध्यक्ष के साथ मिल कर हो रहे शोषण के खिलाफ किसी भी समय अपनी आवाज उठाने का मन बना चुकी है। कुछ आशाये सशंकित है कि कही निरंकुश अधिकारी कर्मचारियो का कोपभाजन का शिकार न होना पड जाए। फिर भी परेशान आशा इकठ्ठा हो रही है।
इस सम्बंध में सन्देश 24 न्यूज के संवाददाता ने कई बार बीसीपीएम सचेन्द्र चौहान को फोन किया परन्तु फोन नही उठा। अस्पताल के जिम्मेदार लिपिक का कहना है कि उन्हे कोई जानकारी नही है सब मामला शान्त हो गया।