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जौनपुर। अंबेडकर प्रतिमा पर मोबिल लगाने की सूचना देना संग्रह अमीन को पड़ा भारी, एसडीएम ने किया निलंबित

जौनपुर। जिले की मड़ियाहूं कोतवाली क्षेत्र के किशुनपुर गांव में अंबेडकर जयंती पर तहसील का संग्रह अमीन द्वारा विवाद का जानकारी नायब तहसीलदार एवं पुलिस को देना भारी पड़ गया जिससे अमीन के ऊपर यह कहावत चरितार्थ हो गया कि ” होम करते हाथ जला” यानी अच्छा काम करने गया फिर भी वह बुरा बन गया।

फाईल फोटो- विद्यालय के दीवाल पर बनाया गया महापुरुषों में अंबेडकर जी की चित्र पर लगा मोबिल 

उप जिलाधिकारी ने बिना किसी जानकारी के संग्रह अमीन को उसी गांव का होने के कारण निलंबित कर दिया है। जो अमीन के साथ अन्याय हो गया है। इस अन्याय को तहसील का कोई कर्मचारी उठाने के लिए तैयार नहीं है यहां तक की नायब तहसीलदार भी चुप्पी साधे बैठे हुए हैं। खैर अमीन ने कहा उपजिलाधिकारी एक बार घटना की जानकारी कर लें अगर उसमें मेरी कोई संलिप्तता हो तो मुझे दंडित करें अथवा निलंबन वापस ले ले।

फोटो- उपजिलाधिकारी के द्वारा संग्रह अमीन की निलंबन आदेश की प्रति

अंबेडकर जयंती पर किशनपुर में क्यों लगा कालीख
आपको बता दे की 14 अप्रैल यानी अंबेडकर जयंती पर मड़ियाहू कोतवाली क्षेत्र के किशनपुर गांव में अनुसूचित जाति के लोगों द्वारा ब्राह्मण बस्ती में जाने वाले प्रवेश द्वार पर संविधान रचयिता बोधिसत्व बाबा डा. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर नीला झंडा कुछ युवकों द्वारा लगाया जा रहा था। बताया जाता है कि ब्राह्मण बस्ती के युवकों ने प्रवेश द्वार पर नीला झंडा लगाने का विरोध किया। इसके बाद उत्तेजित अनुसूचित जाति के लोगों द्वारा प्रवेश द्वार के ऊपर एक छोटी सी मूर्ति बाबा का लगा दिया उसके परिणाम स्वरूप सौहार्द बिगड़ने के लिए कुछ अज्ञात अराजक तत्वों ने बदला लेने के लिए प्राइमरी विद्यालय पर बनाए गए महापुरुषों के चित्र में डॉ. भीमराव अंबेडकर के चित्र पर मोबिल का कालिख लगा दिया गया। इसके बाद विवाद बढ़ गया।
प्रशासन को सूचना देने वाला संग्रह अमीन की क्या रही भूमिका
ग्रामीण प्रत्यक्षदर्शियों की माना जाए तो उसी गांव निवासी तहसील में तैनात और उप जिलाधिकारी कुणाल गौरव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर 24 घंटे साथ रहकर चलने वाला संग्रह अमीन इंद्रेश गौतम विवाद को खत्म करने के लिए अपने स्वजातीय बंधुओ के बीच पहुंचा। काफी समझाने बुझाने के बाद जब मामला नहीं सुलझा तो संग्रह अमीन ने तुरंत घटना की जानकारी देने के लिए उपजिलाधिकारी को फोन किया लेकिन किसी कारण से उनसे बातचीत नहीं हो पाई इसके बाद नायब तहसीलदार संदीप कुमार सिंह और कोतवाली पुलिस को घटना की जानकारी दिया। बताते हैं कि जब तक मामला शांत नहीं हो गया तब तक नायब तहसीलदार संदीप सिंह संग्रह अमीन से ही सारी जानकारी लेते रहे।
पुलिस ने बाबा के ऊपर लगे कालिख को कैसे सुधरवाया
फिलहाल पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए गांव के रमेश गौतम पेंटर को बुलाकर बाबा डॉ भीमराव अंबेडकर जी के चित्र को सही करा दिया और पुलिस ने प्रवेश द्वार पर लगाया गया छोटी सी मूर्ति को भी हटवा कर मामला शांत कराया।
इसके बावजूद संग्रह अमीन पर एक कहावत चरितार्थ हो गया कि “होम करते हाथ जल गया” चला था अधिकारियों को जानकारी देने उल्टे अधिकारी ही निलंबन का रास्ता दिखा दिया। संग्रह अमीन इंद्रेश के विषय में अगर तहसील परिसर में जानकारी किया जाए तो वह तहसील में हमेशा उपजिलाधिकारी के साथ देखा जाता था। चर्चा है कि संग्रह अमीन पर उपजिलाधिकारी एक तरफा कार्रवाई करते हुए घटना की सही जानकारी लेना मुनासिब नहीं समझा जो बाहर बाहर उन्होंने सुना उस पर कार्रवाई कर अपने अधिकारी होने का प्रमाण दे दिया। इन छोटे कर्मचारियों पर एक कहावत और लागू होता है कि “चाहे चक्कू कद्दू पर गिरे अथवा कद्दू चक्कू पर गिरे कटना कद्दू को ही है।”इसके बावजूद जनता में कुछ सवाल अधिकारियों के प्रति उठ रहा है।
सवाल नंबर 1. अधिकारियों के बीच रहकर अधिकारियों को ही सूचना देना संग्रह अमीन का निलंबन क्या सही है।
सवाल नंबर 2. संग्रह अमीन द्वारा प्रशासन और तहसील प्रशासन का सहयोग करने के बावजूद उसे क्यों प्रताड़ित किया जा रहा है।
सवाल नंबर 3. क्या किसी घटना की जानकारी प्रशासन वह तहसील प्रशासन को भविष्य में ना दिया जाए।
सवाल नंबर 4. सूचना देना ही उल्टे सूचनार्थी को ही दोषी बता दिया जाए.
सवाल नंबर 5. क्या संग्रह अमीन के ऊपर निलंबन की हुई कार्रवाई पर उपजिलाधिकारी पुनः विचार करेंगे।
क्या बलिया जैसी घटना किशनपुर में भी हुई दोषी कोई दंड किसी को मिली
मड़ियाहूं के किशुनपुर की घटना उसी प्रकार की है जिस प्रकार 1 वर्ष पूर्व बलिया में पेपर लीक हुआ था और इसकी सूचना एक पत्रकार ने जिलाधिकारी को दे दिया था इसके बाद अपनी गर्दन बचाने के लिए जिलाधिकारी ने सूचना देने वाले पत्रकार को ही पेपर लीक करने का मुखिया मानकर जेल भेज दिया। जिसके बाद माननीय उच्च न्यायालय ने जिलाधिकारी को जमकर फटकार लगाई और पत्रकार को रिहा कर दिया। इसके बाद जिलाधिकारी को पत्रकारों का आक्रोश सहना पड़ा।

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