जौनपुर। जिले की मड़ियाहू एवं रामदयालगंज बाजार को जोड़ने वाली सई नदी पर बना पुल जर्जर हो जाने के कारण बिना किसी सूचना के गुरुवार को जाली लगाकर बंद कर देने से आम राहगीरों समेत मरीजों, अधिवक्ताओं, व्यवसाईयों को काफी हलकान होना पड़ा। एंबुलेंस में मरीज तड़पती रहे और अन्य राहगीर लौटकर कई घंटे का सफर कर तब जौनपुर शहर पहुंच पाएं। अधिवक्ताओं ने पीडब्ल्यूडी के खिलाफ रोष भी प्रकट किया।
मड़ियाहू नगर पंचायत से 10 किलोमीटर दूर रामदयालगंज बाजार को जोड़ने वाला सई नदी पर पुल बना हुआ है। इस पुल से प्रतिदिन हजारों लोग जौनपुर शहर आते जाते हैं और जौनपुर होते हुए मां विंध्यवासिनी धाम मिर्जापुर तक सफर करते हैं। यह पुल इतना महत्वपूर्ण है कि इस पुल से लाखों रुपए की कमाई प्रतिदिन सरकार को भी होती है। लेकिन कुछ दिनों से रामदायलगंज को जोड़ने वाला पुल जर्जर अवस्था में आ गया था। इसलिए बड़ी वाहनों को पिछले महीने से चलने पर रोक लगा दिया गया था इसके लिए रसैना गांव में लोहे का एंगल लगाकर वाहनों का प्रवेश रोक दिया गया था। इसके बावजूद छोटी चार पहिया और दो पहिया वाहनों का आवागमन सुचारू रूप से चल रहा था।
गुरुवार को लगभग 3:00 बजे अचानक पीडब्लूडी विभाग ने सई नदी पुल पर जाली लगाकर एवं सीमेंटेड बाढ़ बनाकर दो पहिया एवं चार पहिया वाहनों को भी बिना किसी सूचना के रोक दिया गया। जौनपुर शहर से काफी संख्या में अधिवक्ता भी मडियाहू तहसील में प्रतिदिन प्रेक्टिस करने के लिए आते हैं जब शाम 4:00 बजे कचहरी से छूटने के बाद ऊंचनी गांव में पुल के पास पहुंचे तो पुल पर भारी बैरिकेडिंग देखकर हतप्रभ रह गए। इसके अलावा 108 नंबर एंबुलेंस में कई मरीज भी तड़पते देखे गए जो करीब 20 किलोमीटर का रास्ता तय कर जनपद मुख्यालय पहुंच पाए हालत यह रही कि जो पुल के पास पहुंचा था वह वापस 5 किलोमीटर आकर पाली गांव से गुतवन होते हुए निकलता था अथवा शीतलगंज स्थित मडियाहू ब्लॉक से होते हुए सिकरारा जाकर तब जौनपुर शहर पहुंच पाया। इसके बावजूद अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह पुल कब तक बंद रहेगा और लोगों को परेशानियां एवं दुश्वारियां झेलनी पड़ेगी।
पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा बिना सूचना दिए अचानक रास्ता बंद करने पर मडियाहू तहसील के अधिवक्ता एवं पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र प्रसाद सिंह और वरिष्ठ अधिवक्ता संतोष कुमार सिंह ने पीडब्ल्यूडी विभाग के इस नीति पर आक्रोश व्यक्त किया उन्होंने कहा कि अचानक पुल को बंद करना था तो सोशल मीडिया एवं प्रचार के अन्य माध्यमों द्वारा एक दिन पहले बता दिया जाता जिससे लोग सतर्क हो जाते और उस रास्ते पर नहीं जाते इन लोगों के ऐसा करने से एंबुलेंस में कई मरीज तो अस्पताल तक पहुंच भी नहीं पाए होंगे उन्हें मौत के मुंह में जाना पड़ा होगा।