जौनपुर। मड़ियाहू तहसील में फाइलों की रखरखाव एवं आदेशों को लेकर भ्रष्टाचार रूकने का नाम नहीं ले रहा है। भ्रष्टाचार का आलम यह है कि तहसीलदार के जाने के बाद भी न्यायालय में कोई भी फाइल देने से पेशकार इंकार कर रहा है। दलील है कि पूर्व तहसीलदार कृष्णराज सिंह अधिकांश फाईलों को अपने साथ ले गए हैं। जिसके कारण कई अधिवक्ता फाइलों की तलाश तहसीलदार कार्यालय से लेकर न्यायिक कार्यालय तक कर रहे हैं।
बुधवार को तहसील में व्याप्त भ्रष्टाचार की कलई तब खुल गई जब मड़ियाहूं तहसील के वरिष्ठ अधिवक्ता अनिसुर्रहमान अपने एक मुव्वकील के कहने पर मालती बनाम खलील धनेथू का फाइल मुआयना करने के लिए तहसीलदार के न्यायिक मुंशी अरविंद कुमार से मांग किया। अधिवक्ता के पैरों तले जमीन तब खिसक गई जब प्राइवेट मुंशी अरविंद ने बताया कि उपरोक्त फाइल तहसीलदार साहब अपने पास आदेश में रखे हैं जब अधिवक्ता ने कहा कि अब तहसीलदार तो चले गए फिर वह फाइल कैसे ले गए लेकिन मुंशी ने कहा कि साहब फाइल को अपने पास ही रखे हैं इसकी पुष्टि करने के लिए न्यायिक पेशकार प्रवीण श्रीवास्तव से फोन पर जानकारी चाही तो उन्होंने भी मुंशी जैसा ही जवाब दिया और कहां की साहब काफी फाइलों को अपने साथ ले गए हैं हो सकता है वह अपनी आवास में रखें हो। सवाल उठता है कि जब तहसीलदार का स्थानांतरण मड़ियाहू तहसील से फिरोजाबाद हो गया है तो वादकारियों का फाइल तहसीलदार अब तक अपने पास क्यों रखे हैं।पेशकार ने यहां तक बताया कि मालती बनाम खलील के फाइल में अभी तक कोई आदेश नहीं हुआ है। पेशकार से जानकारी चाही गई की कितनी फाइल तहसीलदार साहब ले गए हैं तो उन्होंने कहा कि काफी फाइल आदेश के लिए साहब के पास है लेकिन संख्या हम तब बता पाएंगे जब उसकी गिनती कर लेंगे।
ट्रांसफर हुए तहसीलदार के पास कैसे रुका हुआ है वादकारियों का फाईल।
मड़ियाहू तहसील में व्याप्त भ्रष्टाचार नहीं तो और क्या है,न्यायिक पेशकार का माना जाए तो मड़ियाहू से जब तहसीलदार साहब चले गए तो फाइलों का मोह अभी तक क्यों बना हुआ है। आखिर कारण क्या है की फाइल न्यायिक कार्यालय और तहसीलदार कार्यालय में न होकर तहसीलदार के साथ घूम रहा है। क्या यह माना जाए की जो फाइलें तहसीलदार के साथ घूम रही है उसको बैक डेट में आदेश कर उससे लंबी उत्कोच प्राप्त करना है।