गौरव मिश्रा रिपोर्टर
जौनपुर। बरसठी विकास खण्ड के बबुरीगाव (बेलौनाकला) में पूर्व प्रधान संदीप सिंह के यहां चल रहे श्रीराम कथा के आठवे दिन कथावाचक आचार्य पंडित धनंजय द्विवेदी के द्वारा राम और शुपूर्णखा के विवाह का वर्णन,सोने के हिरण को देखकर सीता का भाव विह्वाल होना,सीता हरण आदि ऐसे कथा का अमृत रसपान कराया।
दंडक वन में गोदावरी नदी के तट पर पंचवटी में पर्णकुटी बनाकर प्रभु श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ रहने लगे. शूर्पणखा नाम की रावण की एक बहन थी. घूमते फिरते हुए वह भी पर्णकुटी पहुंची. जहां उसे दो सुंदर राजकुमार दिखे. राजकुमारों के रूप में प्रभु श्री राम और लक्ष्मण जी को देख कर वह काम वासना से व्याकुल हो गई. वह सुंदर रूप रख कर प्रभु के पास पहुंची और मुस्कुराकर बोली, संसार में न तो तुम्हारे समान कोई पुरुष है और न ही मेरे समान कोई स्त्री है।
उसने आगे कहा कि मैंने तीनों जगत में बहुत खोज की किंतु मेरे योग्य कोई पुरुष नहीं दिखा, इसी कारण अभी तक अविवाहित हूं.अब तुमको देखकर मुझे लगता है कि मेरी खोज पूरी हो गई। मुख्य यजमान सुभावती पत्नी कडेदीन सिंह ने आये हुए अतिथियों को श्रीराम के नाम का गमछा, रुमाल व व्यास पीठ से श्रीराम स्तोत्रम पुस्तक वितरित किया।
इस अवसर पर विनोद सिंह, प्रदीप सिंह, जितेन्द्र शुक्ला, हौशीला प्रसाद मिश्रा, प्रमोद सिंह, अमित सिंह, डा. विभा सिंह, जया सिंह, सरिता सिंह, विनीता सिंह आदि लोग मौजूद रही।