जौनपुर। मीरगंज थाना अंतर्गत ग्राम कसेरवा में सोमवार को एक विवादित आराजी पर राजस्व निरीक्षक पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचकर निर्माण शुरू करवा दिए। विपक्षी के विरोध के बावजूद वह नहीं माने। लेकिन एसडीएम को दूरभाष पर सूचना देने के बाद राजस्व और पुलिसकर्मी बैंरग वापस लौट आए।
ग्राम कसेरवा निवासी लाल बहादुर पुत्र राम निधि ने बताया की आराजी नंबर 1026 के बाबत उप जिलाधिकारी न्यायालय में धारा 116 के अंतर्गत बंटवारे का मुकदमा विचारथीन है। मुकदमा विचाराधीन होने के बावजूद विपक्षी अपने अंश से अधिक पर अवैध निर्माण करके जमीन की नवैइत परिवर्तित करना चाह रहा है। बताया कि उनके प्रार्थना पत्र पर राजस्व और पुलिस प्रशासन दोनों ने मौके पर जाकर जांच की और अपनी रिपोर्ट में कहा कि जब तक बंटवारे के उक्त मुकदमे का निस्तारण न हो जाए तब तक मौके पर निर्माण करने से विपक्षी को मना कर दिया गया है। उक्त जांच आख्या इसी वर्ष जुलाई महीने की है बावजूद इसके विपक्षी ने कल सोमवार को पुनः निर्माण शुरू कर दिया। लाल बहादुर आदि ने कहा कि वह देखकर चौंक गए की राजस्व निरीक्षक अपनी ही जांच आख्या के खिलाफ जाकर मौके पर विपक्षी का निर्माण खड़े होकर करवा रहे हैं। और साथ में पुलिस बल भी लिया हुआ है। जो जरा सा विरोध करने पर भी सभी को अपनी सरकारी वाहन में जबरन लाद ले रहे हैं। मंगलवार को पीड़ित पक्ष ने उप जिलाधिकारी राजेश कुमार चौरसिया से मिलकर प्रार्थना पत्र दिया जिस पर एसडीएम ने राजस्व निरीक्षक को कड़ी हिदायत दी कि दोबारा मौके पर किसी प्रकार का निर्माण ना किया जाए। इस संबंध में राजस्व निरीक्षक अरविंद कुमार मिश्रा से पूछने पर उन्होंने बताया कि उन्हें मुकदमे की जानकारी नहीं थी और अपने को पीड़ित पक्ष बताने वाले लोगों द्वारा ही कुछ दिन पहले विपक्षी का टीन शेड तोड़ दिया गया था। इसी कारण वह मौके पर गए थे और ठीक करवा रहे थे। यह पूछने पर की आप किसके आदेश से मौके पर गए थे क्योंकि पीड़ित पक्ष का कहना है कि आप मौके पर निर्माण करवा रहे थे और आपने काफी हद तक दीवाल बनवा दी । गोल मटोल जवाब देते हुए राजस्व निरीक्षक ने कहा कि उन्हें सूचना मिली थी कि विपक्षी द्वारा मडहा आदि को तोड़ दिया गया है। इसी कारण वह गए थे। लेकिन कानूनगो साहब इस बात का स्पष्टीकरण नहीं दे पाए की टीन शेड ,मडहा तोड़ने के आरोप में विपक्षी ने मुकदमा क्यों नहीं दर्ज कराया और आप किस अधिकार से विपक्षी की सहायता करने गए थे।
यह एक उदाहरण है की राजस्व प्रशासन मुकदमे के दौरान भी कब्जा करवाने से नहीं चूकता और कहीं ना कहीं प्रशासन की गलती के ही कारण हाल ही में इतना बड़ा देवरिया कांड हो गया जिसमें एक व्यक्ति को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।