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जौनपुर। शिवांगी किशोरी को कंठस्थ है सम्पूर्ण गीता और भागवत।

जौनपुर। मुंगराबादशाहपुर में सबसे छोटी भागवताचार्य शिवांगी किशोरी (15) आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है। अपनी छोटी सी अवस्था में शिवांगी कथाकार बनकर परचम लहरा रही हैं। जौनपुर जिले के मुंगराबादशाहपुर के ईटहरा गांव की रहने वाली शिवांगी किशोरी महज ढ़ाई साल की थी तभी उनकी मां ने उनका साथ छोड़ दिया।पिता चन्द्रभान सिंह ने छोटी उम्र में धर्म के प्रति लगाव को देखते हुए महज तीन साल की उम्र में ही गांव से वाराणसी के मातृ मन्दिर कन्या गुरूकुल में शिक्षा दीक्षा के लिए ले गए।छह साल की उम्र में गीता पूरी तरह से कंठस्थ हो गया।

गीता का ज्ञान शिवांगी किशोरी को इतना है कि गीता का भी स्लोक कहीं से भी पूछ लिजिए तुरंत अर्थ समेत बता देती है। वर्तमान समय में भागवत महापुराण की कथाकार बनकर अपना परचम लहरा रही है। शिवांगी किशोरी कैलाश मठ वाराणसी महामंडलेश्वर श्री श्री 108 श्री स्वामी आशुतोष आनंद गिरि महाराज के सानिध्य में अध्ययन किया हैं। वह अपने गांव ईटहरा में एक आश्रम भी चला रही है जिसमें समय समय पर स्वयं उपस्थित होकर भागवत कथा कहती हैं और गरीबों की मदद भी करती है। शिवांगी किशोरी हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश , राजस्थान,यूपी,बिहार, बंगाल, दिल्ली, महाराष्ट्र में भागवत कथा में अपना लोहा मनवा रही है। इस दौरान भी वो भागवत कथा में व्यस्त हैं। आज उनसे भागवत कथा का पाठ करने के लिए लोगो को समय लेना पड़ता है। इस नन्ही उम्र में इतनी बड़ी कथाकार बनकर परिवार ही नही बल्कि क्षेत्र का नाम रोशन कर रही है। इससे इनके गुरुजन भी खासे खुश हैं।

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