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जौनपुर। अपने अस्तित्व पर रो रही रत्ना शुगर मिल, मशीनरी कबाड़ में बिक चुका, ईटे बिकने को तैयार

जौनपुर। जिले के शाहगंज में जनपद के प्रथम औद्योगिक इकाई एवं गौरव कही जाने वाली रत्ना शुगर मिल अब खंडहर में तब्दील हो गई है।

अयोध्या मार्ग पर स्थित यह मिल कभी गन्ना किसानों के लिए वरदान साबित होती थी। लेकिन आज सिर्फ नेताओं के भाषण तक सीमित होकर रह गयी है।
1933 में स्थापित हुई यह शुगर मिल जिसे पूर्वांचल का प्रथम चीनी मिल एवं जनपद का प्रथम औद्योगिक इकाई का गौरव हासिल था आज खंडहर में तब्दील हैं।
वाराणसी के उद्योगपति राय प्रेम चन्द्र, गिरीश चन्द्र, नारायण दास एवं काशी प्रसाद द्वारा इस शुगर मिल की नींव रखी थी। लेकिन 1986 में घाटा बढ़ने पर इसके संचालक इसे बंद करके वापस चले गए। बकाया भुगतान को लेकर हुए आंदोलन के पश्चात 1989 में इसे अधिग्रहण करते हुए तत्कालीन सरकार ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया। इसके बाद यह मिल कभी चलती तो कभी बन्द होती रही। वर्ष 2001 में बसपा सरकार में चीनी मिल बंद हो गया। वर्ष 2009 में तात्कालीन बसपा सरकार ने इस मिल को प्रदेश के बड़े शराब कारोबारी पोंटी चड्डा की कम्पनी माइलो इंफ्राटेक कंपनी को महज नौ करोड़ पचहत्तर लाख रुपये में बेच दिया। जबकि उस वक्त का सर्किल रेट पचास करोड़ रुपये था। आज यह अरबों रुपये की सम्पत्ति हैं।
विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी विधायक के चुने जाने के बाद से क्षेत्र की जनता में कुछ आस जगी है कि यह शुगर मिल एक बार फिर अपनी पूरी रौ में चलेगी। बसपा सरकार में नीलाम की गई 11 मिलों में 9 चीनी मिलों को अधिग्रहित कर पुनः शुरू किया गया है। इसी से जनता में आशा जगी है।
विधायक शाहगंज रमेश सिंह ने कहा कि चीनी मिल का पुनरुत्थान मेरा सपना है। इस संबंध में हमने मुख्यमंत्री से बातकर चुका हूं। मुझे बताया गया है कि मामला अदालत में लम्बित हैं। जैसे ही फैसला आता है पुन: स्थापना का प्रयास होगा। यह मुद्दा मैं मुख्यमंत्री समेत सदन में उठा चुका हूं। क्षेत्र के नौजवानों के रोजगार सृजन में चीनी मिल “मिल का पत्थर” साबित होगा। वहीं क्षेत्र के किसान पुन: नगदी फसल से लाभान्वित हो, मेरा जी जान से प्रयास हैं कि चीनी मिल प्रारम्भ हो। चाहे वह पीपीपी माडल से अथवा सरकार द्वारा। फिलहाल अदालती आदेश का इंतजार किया जा रहा है।
समाजवादी पार्टी के मजदूर सभा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष चीनी मिल के श्रमिक नेता प्रभानन्द यादव ने बताया कि चीनी मिल का कुल रकबा 54 विघा है। वहीं गन्ना किसानों का एक करोड़ 10 लाख से अधिक रुपया एवं कर्मचारियों का सवा करोड़ रुपये से ज्यादा मिल पर बाकी है। कई हजार एकड़ भूमि पर किसानों द्वारा गन्ने की उपज की जाती थी। जौनपुर समेत आजमगढ़ अम्बेडकर नगर अयोध्या सुल्तानपुर आदि जनपद के किसान अपनी नगदी फसल गन्ना मिल को बेचते थे। अब गन्ना बहुल क्षेत्र में गन्ने की उपज नाम मात्र रह गया है। सरकार के गन्ना किसानों के प्रति उदासीन रवैए के चलते मिल प्रारम्भ नहीं हो पा रहा है। वहीं पहले स्कैप स्क्रेप्स बेच दिया गया अब मिल जमीजोद कर ईट बेचा जा रहा है। वहीं हरे पेड़ बड़े पैमाने पर काट बेच दिया गया। यह प्रक्रिया अभी भी चालू हैं।
भरत लाल गुप्ता प्रतिनिधि माइलो इन्फ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा उक्त मिल को खरीदा गया है। मिल पर उनके प्रतिनिधि भरत लाल गुप्ता ने बताया कि अक्टूबर माह के बाद मिल की भूमि पर कामर्शियल काम्पलेक्स व टाउनशिप निर्माण की प्रक्रिया प्रारम्भ होगा। कम्पनी का इरादा है कि लखनऊ जैसी सुख सुविधाओं युक्त काम्प्लेक्स बनाया जाये। जिसमें सभी सुविधाएं उपलब्ध होगी। वहीं बचे भूमि की प्लाटिंग कर बेच दिया जायेगा।

 

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