जौनपुर। निकाय चुनाव की शंखनाद बंद होते ही जनता के हिमायती बनने वाले छूटभैया नेता इलाके से लापता हो गये हैं। विकास के नाम पर ढेर सारे दावे करने वाले कुछ भावी प्रत्याशियों के मोबाइल स्विच ऑफ हो गए हैं। कुछ खुले भी हैं तो वह कई बार कॉल करने पर भी रिसीव नहीं होते है। सुबह दुआ सलाम करके हर वक्त साथ खड़े रहने का दावा करने वाले ऐसे कुछ भावी उम्मीदवारों के यहां चलने वाला दारू-दावत का दौर भी अब बंद हो गया है।
इनमें तमाम ऐसे भी थे जो अपने वोट के ठेकेदारों को देखते ही मुट्ठी बांधकर ठंड में उनकी जेब गर्म कर देते थे। नगर पालिका परिषद शाहगंज, नगर पंचायत खेतासराय, मड़ियाहूं, रामपुर समेत अन्य नगरीय इलाकों से रातों-रात गायब हुए कुछ स्वार्थी भावी प्रत्याशियों की पूरे इलाके में चर्चा शुरू हो गई।
लोग बाग यह कहने लगे हैं की आखिर ऐसा क्या हो गया जो कल तक नगर के विभिन्न वार्डों में अध्यक्ष, सभासद पद के रूप में चुनाव लड़ कर क्षेत्र का चौमुखी विकास करने का ढिंढोरा पीट रहे थे। वह आज दिखाई ही नहीं दे रहे हैं। यह बात सोलह आने सच देखने को मिल रही है।
जिले के नगर पंचायत खेतासराय में ऐसे छोटे बड़े नेताओं की भरमार है, जो खुद किसी भी सक्षम अधिकारी के सामने न बात कर सकते हैं और न ही शासन स्तर पर कस्बे की प्रमुख समस्याओं को उठा सकते हैं। लेकिन चुनावी बेला में खादी के लक लक कुर्ता, पैजामा और माड़ीदार सदरी के साथ उनका चुनाव प्रचार अभी कुछ दिनों पूर्व पूरे शबाब पर था।
इस प्रचार प्रसार में कोई कमी ना रहे, इसके लिए नेताजी के तमाम होर्डिंग कटआउट बैनर नगर के सभी गली मोहल्ला, चौराहा और बिजली के खंभों पर टंगे हुए देखे जाते थे।
चुनाव टलते ही गुमनामी में चले गए चुनावी नेता
जौनपुर । अपनी जीत को पक्की करने के लिए जनता को तमाम आश्वासन देकर लुभाने वाले कुछ नेताओं के यहां होने वाली शाम की पार्टी थी अब बंद हो गई। मुर्गा और दारू का दौर भी उस समय इस कदर चल रहा था कि खाने वालों को फोन करके बुलाया जाता था। आज खिलाने वाले गायब हुये तो खाने वाले वोट के सौदागर अब ऐसे छूट भैया नेताओं को खोज रहे हैं। लेकिन जब आज चुनाव टल गया और इलाके से ऐसे नेता गुमनामी में चले गए तो जनता भी ऐसे लोगों को खूब चटकारे लेकर नुक्कड़ चौराहों पर चर्चा कर रही है।