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जौनपुर। हल्का लेखपाल ने भीटा, ग्रामसभा एवं गड़हे की बेशकीमती करोड़ों की जमीन को महिला पर लुटाया।

जौनपुर। रामपुर थाना क्षेत्र के धनुहां बाजार में मड़ियाहूं तहसील के हल्का लेखपाल के जादूगरी से करोड़ों की बेशकीमती जमीन को भू माफियाओं द्वारा कब्जा एवं निर्माण किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। मजे की बात यह है लेखपाल अपने रिपोर्ट की जादूगरी में ग्राम समाज भीटा एवं गड़हे के सरकारी जमीन को छुपाकर एक बैनामेदार के नाम का ही पूरा जमीन बता डाला है। जिसके कारण धनुहां बाजार में करोड़ों की बेशकीमती जमीन धड़ल्ले से कब्जा हो रहा है।

फोटो-लेखपाल की मेहरबानी से भीटा एवं गड़हा एवं ग्राम समाज की जमीन पर बना नवनिर्मित कमरा

मड़ियाहूं तहसील से 8 किलोमीटर दूर रामपुर बाजार पड़ता है। जिसके ठीक बगल धनुहां बाजार का ग्राम सभा स्थित है। बाजार के डॉ अमरनाथ हॉस्पिटल के ठीक पहले दलित बस्ती में जाने वाले रास्ते पर एनएच 135 हाईवे से सटकर करोड़ों की बेशकीमती जमीन काफी दिनों से खाली पड़ी थी। जिसके बगल में सरकारी भीटा, गड़हा एवं ग्राम समाज की जमीन स्थित है। जिसका पूरा रकबा 170 फुट सड़क मार्ग पर स्थित है। जबकि उसी में 100 फुट सरकारी भीटा’ ग्रामसमाज, गड़हा की जमीन स्थित है। बैनामेदार धीरज मौर्या का माना जाए तो उपरोक्त करोड़ों की बेशकीमती जमीन में करीब 4 बैनामेदार हैं जिसमें 70 फुट बचे जमीन में सभी का हिस्सा बैनामे के अनुसार अलग-अलग है।
इसके बावजूद हल्का लेखपाल मनोज कुमार अपने चमत्कारी कलम की जादूगरी आशानंदपुर गांव निवासी बैनामेदार कप्तान सिंह की पत्नी जय देवी के साथ किसी दिवस पर शिकायत किए बिना ही दिखाना शुरू किया। लेखपाल मनोज कुमार जय देवी से प्रभावित होकर खुद प्रार्थना पत्र लिया और रिपोर्ट बनाकर थाना पुलिस को दे दिया। जिसके कारण पुलिस भी शांत बैठ गई। जिसके बाद करोड़ों के बेशकीमती जमीन के निर्माण का खेल शुरू हो गया। लेखपाल की रिपोर्ट की माना जाए तो जय देवी पत्नी कप्तान सिंह पूर्व में ही कब्जेदारी में थी। लेकिन मौके पर जाने के बाद नवीन निर्माण नंगी आंखों से देखा जा सकता है। वर्षों से आसपास के जानकार बताते हैं उपरोक्त बेशकीमती जमीन पर किसी का भी कब्जा नहीं था बल्कि जमीन परती पड़ी हुई थी क्योंकि उसके आसपास पूरी सरकारी जमीन स्थित है। इसके बावजूद लेखपाल ने अपनी रिपोर्ट में जय देवी का कब्जा बताकर उस बेशकीमती जमीन को पूरी बाउंड्री वाल कराकर टीनशेड रखवा दिया।
लेखपाल की चमत्कारी एवं जादू वाली पेन की रिपोर्ट क्या कहती हैः-
लेखपाल ने अपनी रिपोर्ट में यहां तक बता दिया कि 50×50 वर्ग फिट का बैनामा प्रार्थनी जय देवी ने कराया था। इसके बावजूद 30×50 वर्ग फीट में निर्माण करना चाहती है। सोचिए अगर मौके पर केवल 70 फीट जमीन है तो लेखपाल ने कैसे चार हिस्सेदारों के बिना हिस्सा दिए उक्त बैनामे की जमीन को केवल एक व्यक्ति को अपने रिपोर्ट में दे दिया यह सोचने की बात है।
उसके बाद लेखपाल ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि करीम पुत्र सगीर अहमद धीरज पुत्र हंसराज मौर्य व राजकुमार सोनी निर्माण में अवरोध उत्पन्न कर रहे हैं। लेखपाल का चमत्कारी कलम करोड़ों की बेशकीमती जमीन को छोड़ दिया जाए तो सरकारी जमीन का कोई जिक्र नहीं किया। इस प्रकार भीटा, ग्राम समाज एवं गड़हे की जमीन को लेखपाल मनोज ने निर्माण करवा दिया। चर्चा तो यहां तक है कि लेखपाल मनोज अपने चमत्कारी कलम को चलाने के लिए और सरकारी जमीन को मुफ्त में देने के लिए लाखों रुपए की धन उगाही किया है।

फोटो- लेखपाल मनोज की चमत्कारी रिपोर्ट

लेखपाल मनोज के चमत्कारी कलम का खुलासा बुधवार की दोपहर उस समय हुआ जब राजकुमार सोनी ने अपने बैनामें की हिस्से पर निर्माण करने के लिए उपरोक्त जमीन पर पहुंचा। तब धीरज मौर्य के शिकायत पर लेखपाल ने तुरंत पहुंचकर निर्माण कार्य को रुकवा दिया। जिसके बाद मौके पर बहसा- बहसी एवं गर्मा गर्मी का माहौल बन गया। धीरज मौर्या ने कहा कि अगर जय देवी एक ही नंबर पर 50 फुट का निर्माण कर सकती है और सड़क पर आगे आ सकती हैं तो हम और बाकी बैनामेदार कहां जाय और आगे सड़क पर क्यों नहीं आ सकते।
लेखपाल जब अपने ही चमत्कारी कलम में फंसने लगा तो तहसील से अपने को बचाव करने के लिए तीन और लेखपालों को मौके पर बुला लिया जब उक्त लेखपालों ने मामले की गंभीरता को देखा और बैनामेदारा द्वारा उग्र होते देख कर चमत्कारी लेखपाल मनोज की हां में हां मिलाते हुए उनकी भी गर्दन न फंसे मौके से रफूचक्कर हो गए। फिलहाल धीरज मौर्या के शिकायत पर एसडीएम लाल बहादुर के आदेश पर अभी काम बंद हुआ है लेकिन मौके की स्थिति गंभीर बनी हुई है और भू माफियाओं को संरक्षण देने वाला लेखपाल बाकी बैनामादारों का जवाब नहीं दे पा रहा है।

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