जौनपुर। बरसठी थाना क्षेत्र के गहलाई गांव में शव दफनाने की भूमि को लेकर रविवार की शाम दो पक्ष आमने सामने आ जाने से विवाद हो गया। पुलिस और तहसीलदार के हस्तक्षेप के बाद मुस्लिम पक्ष द्वारा स्वयं की जमीन पर शव दफनाने के लिए राजी होने के बाद मामला शांत हुआ और 5 घंटे के बाद देर रात तक शव को दफनाया जा सका।
गहलाई गांव के रज्जाक के दमाद रफी का घर जिले के सुजानगंज में स्थित है। लेकिन रफीक (55 वर्ष) काफी समय से अपने ससुराल गहलाई में रहकर अपना दुकान चलाते थे। रफीक कि रविवार की सुबह मौत हो गई। मौत के बाद उसके ससुराल पक्ष के लोग कब्र पर मिट्टी देने के लिए रिश्तेदारों और सगे संबंधियों का इंतजार करते हुए अपराहन 2:00 बजे शव को दफनाने के लिए जमीन में कब्र खोदने लगे। जिस जमीन पर कब्र खोदी जा रही थी वह जमीन गांव के ही विजय प्रजापति के नाम है। उनके पिता ने उपरोक्त जमीन पर विवाद होने के कारण वर्ष 1999 में मुस्लिम पक्ष से दीवानी न्यायालय में मुकदमा जीत चुके हैं। यह मुकदमा 18 वर्षों तक चलता रहा पैरवी के अभाव में वह खारिज भी हो गया था। मुस्लिम पक्ष काफी समय से इसी आराजी पर शव को दफनाते चले आ रहे थे। रविवार की अपराह्न जैसे ही शव के लिए कब्र खोदना शुरू किया गया विजय प्रजापति अपनी जमीन बताते हुए कब्र खोदने से मना कर दिया। जिसको लेकर गांव में दो पक्ष आमने-सामने आ गए। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और समझाने का प्रयास करने लगी। पुलिस प्रयास में असफल होने पर उच्चाधिकारियों को सूचना दिया। मड़ियाहूं तहसील से तहसीलदार राम सुथार सूचना पाकर मौके पर पहुंचे। लेखपाल कानूनगो ने बताया कि आराजी 484 जमीन विजय प्रजापति के नाम खतौनी में दर्ज है। जिसके बाद पुलिस ने मुस्लिमों द्वारा खोदी गई कब्र को बंद करवा दिया और मुस्लिमों से स्वयं के जमीन में शव को दफनाने की बात कही गई। जिसके बाद रज्जाक के परिजन और मुस्लिम बिरादरी के लोगों ने अपनी जमीन में कब्र खोदकर शव को दफनाया। तब जाकर माहौल शांत हुआ।
थानाध्यक्ष दिनेश कुमार ने बताया कि दूसरे की की आराजी में कब्र खोदी जा रही थी। जिसको लेकर विवाद हो गया था। 5 घंटे की जांच के बाद मुस्लिम पक्ष के लोगों ने अपने स्वयं की जमीन में शव को दफनाने का काम किया गया। जिसके बाद मामला शांत हुआ।