पुलिसिया जुल्म की कहानी पीड़ित की जुबानी।
जौनपुर। नेवढ़िया थाने के भाऊपुर चौकी के पुलिसिया जुल्म से परेशान एक मुस्लिम परिवार घर छोड़कर सुरक्षा पाने के लिए दर-दर भटक रहा है। मुस्लिम बाप का सिर्फ इतना कसूर है कि अपने बड़े बेटे को गलत संगत में पड़ जाने के कारण घर से बेदखल कर दिया और उसके छोटे बेटे का कसूर इतना है कि बाप ने सारी वसीयत बड़े बेटे को नहीं कर छोटे बेटे को कर दिया है। जिसमें भाऊपुर चौकी के सिपाही बेदखल हो चुके बड़े बेटे को दखल कराना चाह रहा है।
पुलिसिया जुल्म की कहानी, बाप बेटे की जुबानी
आइए बताते हैं पुलिसिया जुल्म के शिकार बाप बेटे की जुबानी-भाऊपुर गांव के इमामुद्दीन के दो बेटे मोहम्मद मेराज एवं अमजद अली है।कुछ दिनों से बड़ा बेटा मेराज गलत सोहबत में पड़कर घर पर संदिग्ध लोगों को लेकर आता जाता रहा। मना करने पर परिजनों के साथ गाली गलौज करता था। जिसकी शिकायत कई बार भाऊपुर पुलिस चौकी पर किया लेकिन बेबस बाप की पुलिस ने कुछ भी नहीं सुना उल्टे घर पर जाने के लिए पुलिस कुछ पैसे की मांग करने लगी तो पिता घर से वापस चला आया और अपने बड़े बेटे को अपनी संपत्ति से बेदखल करते हुए घर से बाहर निकाल दिया।
हार्ट अटैक का मरीज हुआ पीड़ित पिता इमामुद्दीन
इसी बीच इमामुद्दीन हार्ट अटैक का मरीज हो गया वह कब तक जिंदा रहे इसकी कोई गारंटी नहीं देख कोई कानूनी अड़चन न फंसे इसलिए छोटे बेटे अमजद अली को अपने जीते जी सभी संपत्तियों को वसीयत कर दिया।
वसीयत की भनक लगते ही बाप के पास पहुंचा बेटा
वसीयत की भनक मो. मेराज को लगते ही वह घर पर आ धमका और अपने अब्बा इमामुद्दीन से हिस्से की मांग किया जिसके बाद उसके अब्बा ने कहा जब तुम अपनी अम्मी जान और मेरा देखभाल नहीं कर सकते, बहन बेटियों की शादी में शरीक नहीं हो सकते तो हिस्सेदारी की बात ही नहीं बनती। यहीं से शुरू होती है इम्तियाज के परिजनों पर पुलिसिया जुल्म का दास्तान!
जब पुलिसकर्मी ने युवक को चौकी पर पट्टे से किया धुनाई
तारीख 28 अप्रैल सुबह 10:00 बजे माहे रमजान का दिन इम्तियाज का बड़ा बेटा मोहम्मद मेराज भाऊपुर चौकी पर पहुंचता है और एक तहरीर अपनी जान पहचान वाले पुलिसकर्मी को देता है। जिसके बाद जिस प्रकार हत्यारों को पकड़ा जाता है उसी प्रकार पुलिस इमामुद्दीन के घर पहुंचती है। और 18 वर्षीय अमजद अली को घर से घसीटते हुए भाऊपुर चौकी पर लाकर पट्टे से पीटा जाता है। दहशत फैलाने के बाद पुलिस उसे छोड़ देती है। फिर उसी समय हार्ट की बीमारी से जूझ रहे इमामुद्दीन पर भी जुल्म ढाया जाता है, घर पहुंच कर बीवी बच्चों को गालियों से नवाजते हुए बहू बेटियों को अपशब्दों से नवाजने का काम चौकी के सिपाही करते हैं।
घटना का समाचार सोशल मीडिया पर वायरल
6 मई दिन शुक्रवार एक बार फिर इमामुद्दीन के ऊपर चौकी के सिपाहियों का जुल्म शुरू होता है उनके बड़े बेटे मेराज से मनपसंद तहरीर लिखवाई जाती है उसके बाद एक पुलिस फिर हत्यारों की तरह गिरफ्तारी के लिए पहुंच जाती है और अमजद अली पुलिसिया जुल्म के भय से घर से भाग जाता है। (28 अप्रैल को पट्टे की मार उसे भूल नहीं पा रहा था।) अब पुलिस कर्मियों ने इमामुद्दीन को सुंदर-सुंदर लफ्जों के साथ नवाजते हुए लौट जाती है। घटना का समाचार सोशल मीडिया पर वायरल होते ही थानाध्यक्ष विश्वनाथ प्रताप सिंह रात 10:00 बजे भाऊपुर पुलिस चौकी पर पहुंचकर मामले को संज्ञान में लेते हैं सूत्र बताते हैं कि घटना में संलिप्त सिपाही को जमीन जायदाद के मामले में हस्तक्षेप नहीं करने की नसीहत देते हैं। इसके बावजूद भी उपरोक्त पुलिसकर्मी बेजा हरकतों से बाज नहीं आता है शनिवार सुबह फिर इमामुद्दीन के ऊपर पुलिसिया जुल्म की कहानी शुरू हो जाती है।
तहसील समाधान दिवस पर होती है पुलिसकर्मी की शिकायत
7 मई दिन शनिवार को तहसील समाधान दिवस में इमामुद्दीन अपनी पत्नी, बेटे अमजद अली और नाबालिग बेटी को लेकर मड़ियाहूं तहसील में पहुंचकर एसडीएम मड़ियाहूं अर्चना ओझा से मुखातिब होकर अपनी बात रखते हैं। एसडीएम ने नेवढ़िया थाने के एसएचओ को प्रार्थना पत्र की प्रति कार्रवाई हेतु दे देती हैं।
पुलिसकर्मी एक बार फिर बड़े बेटे से लेती है तहरीर।
उसके बाद 3:00 बजे सूत्र बताते हैं कि इमामुद्दीन के बड़े बेटे को भाऊपुर चौकी का पुलिस कर्मी बुलाता है और एक तहरीर इमामुद्दीन के खिलाफ लिखवा कर ले लेता है।
पुलिस के डर से सहमे पिता पुत्र लिए सुरक्षित ठिकाना
दिन शनिवार समय 3:00 बजे इमामुद्दीन अपने पूरे परिवार के साथ तहसील से भाऊपुर घर पहुंचते हैं, तभी पुलिसकर्मी बाइक लेकर पहुंच जाता है और अमजद अली को गिरफ्तार करने की कोशिश करता है लेकिन अमजद अली और इमामुद्दीन दहशत से घबराकर घर छोड़कर फरार हो जाते हैं। अब घर पर केवल महिलाएं ही शेष बची है। हार्ट अटैक के मरीज इमामुद्दीन एवं उनका पुत्र अमजद अली पुलिसिया जुल्म की भय से घर छोड़कर सुरक्षा के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
हार्ट अटैक से इमामुद्दीन की जा सकती है जान
भाऊपुर चौकी के पुलिसकर्मी के आतंक का अगर उच्चाधिकारी संज्ञान में नहीं लेते हैं तो निश्चित है वह दिन दूर नहीं जब इमामुद्दीन का परिवार घर के बाहर रोता बिलखता पुलिस कर्मियों को दिखाई पड़ेगा।
संदेश 24 न्यूज़ का इस प्रकरण से सरोकार नहीं
पूरे प्रकरण का संदेश 24 न्यूज़ से कोई लेना देना नहीं है यह तो पीड़ित पक्ष का जुबानी और लिखित बयान को जनता के सामने रखा गया है। सिपाही का नाम पीड़ित द्वारा दी गई तहरीर में अक्षरशः दर्ज है।