लखनऊ। उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव में इस बार दावेदारों की नजर फाइनल वोटर लिस्ट पर टिकी है। क्योंकि 22 जनवरी को फाइनल वोटर लिस्ट जारी होगी। लेकिन इस सबसे इतर दावेदारों मुख्य फोकस आरक्षण हैं। सूत्र बताते हैं कि 20 जनवरी को गांव के आरक्षण की तस्वीर साफ हो जाएगी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पंचायत चुनाव के दावेदारों में सबसे ज्यादा बैचेनी आरक्षण को लेकर देखी जा रही हैं। इसके बाद ही तय होगा कि किस गांव में किस जाति का उम्मीदवार चुनाव लड़ सकता है। क्योंकि गांव अगर आरक्षित हो गया तो सामान्य जाति के लोग वहां से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इसी तरह अगर गांव महिला के लिए आरक्षित हो गया तो वहां से कोई पुरुष पर्चा नहीं भर सकता।
ऑनलाइन तय होगा आरक्षण
पंचायत चुनाव में सर्वाधिक विवाद सीटों के आरक्षण तय करने में फंसता है। हर सीट पर प्रत्येक वर्ग को प्रतिनिधित्व को 1995 से चक्रानुक्रम आरक्षण व्यवस्था लागू हुई। हालांकि इस साल अभी फार्मूले का ही इंतज़ार हैं। लेकिन डीपीआरओ ऑफिस के अनुसार, पारदर्शिता के चलते पंचायत चुनाव-2021 नाम से साफ्टवेयर पर पंचायतों की आबादी व आरक्षण का ब्यौरा आदि अपलोड किया जा रहा हैं।
आरक्षण में कटेगी दावेदारी
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ग्राम पंचायतों में आरक्षण की स्थिति में भी बदलाव होगा। ऐसे में सभी ग्राम पंचायतों पर दावेदारी करने वाले दावेदारों को अपना मैदान छोड़ना पड़ सकता है। इससे पहले वर्ष 2015 के ग्राम पंचायत चुनाव से पहले ग्राम पंचायतों का परिसीमन हुआ था. 2015 से पहले जिले में 636 ग्राम पंचायतें थीं। तब परिसीमन के बाद 59 ग्राम पंचायतें बढ़ गई थीं। एक ग्राम पंचायत में कम से कम एक हजार की आबादी होना जरूरी है। हालांकि राज्य चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की घोषणा के बाद ही पंचायतों की स्थिति स्पष्ट होगी।
यह प्रावधान लागू किया जा सकता है कि यदि 2015 में किसी ग्राम पंचायत में प्रधान पद अनुसूचित जाति के लिए लागू था तो इस बार उसे एससी के लिए आरक्षित नहीं किया जाएगा। इसी तरह यदि कोई ग्राम पंचायत पिछली बार ओबीसी के लिए आरक्षित थी तो इस बार पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित नहीं की जाएगी।
आरक्षण के लिए प्रत्येक ब्लॉक में अनुसूचित जाति, पिछड़े और सामान्य वर्ग की आबादी अंकित करते हुए ग्राम पंचायतों की सूची अकारादि (अ, आ, इ, ई…) क्रम में बनाई जाएगी। इसमें अंकित किया जाएगा कि वर्ष 1995 में कौन की ग्राम पंचायत किस वर्ग के लिए आरक्षित थी।
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