किसानों को मजबूर किया जा रहा आत्महत्या करने क
केराकत(जौनपुर)5जन.। सरकार किसानों के बेहतरी के लिए लाखों करोड़ों खर्च कर उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक करोड़ों रुपए विद्युत पर खर्च कर सिंचाई के लिए अनुकूल परिस्थिति बनाने में प्रयत्नशील है, पर कुछ अधिकारी एवं कर्मचारियों द्वारा सरकार के इस प्रयास पर पानी फिरता दिख रहा है। ताजा सर्कुलर के अनुसार नगरीय क्षेत्रों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे विद्युत देने का सर्कुलर जारी किया गया है।क्योंकि खेत की भराई का समय हो गया है।इस वक्त किसानों के खेतों के लिए पानी की आवश्यकता काफी है। पर प्रशासन शासन द्वारा किसानों को 8 घंटे भी बिजली मुहैया नहीं कराई जा रही है। केराकत क्षेत्र के लगभग सभी ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर नगरीय क्षेत्र का यही हाल है दिशापुर( बजरंगनगर) फीडर, खडहर डगरा, नईबजार फीडर की स्थिति तो और ही दयनीय है जहां विद्युत ने न आने के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।इन फीडरों से विधुत दिया तो जा रहा है पर पर किसान को स्टार्टर चलाने से पहले विधुत कट जा रही है।इससे खेंतों में भरपूर पानी न मिलने पर किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाएगा।तब इसकी जिम्मेदारी लेने के लिए कौन आगे आएगा। वह जो सरकुलर के बावजूद बिजली नियमित न देने वाले कर्मचारी, अधिकारी या बड़े बड़े वादे करके जनता को भूलने वाले जनप्रतिनिधि?
इससे सरकार के प्रति किसान काफी रोष में है ।किसानों को रात भर जागकर सिंचाई के लिए विद्युत की प्रतीक्षा करनी पड़ रही है इसके बावजूद विद्युत अपने समय से नहीं आ रही है।इस कारण किसानों में हताशा और निराशा देखी जा रही है।इसे विभागीय अनदेखी कहे या सरकार के प्रति विभागीय निराशा या उदासीनता किसानों के लिए क्या उपाय करती है ।