मुंगराबादशाहपुर(जौनपुर)। जीव और भगवान के विशुद्ध मिलन का नाम ही महारास है । पंचाध्याई भागवत का प्राण है। रासलीला की कथा जो सुनेंगे उनके जीवन से काम समाप्त हो जाएगा। कृष्ण मिलन पर काम ही न रह जाएगी।
“भागवत कथा का आठवां दिन, श्री कृष्ण रुकमणी विवाह की दिव्य झांकी का दर्शन कर भक्त भाव विभोर हुए।”
इस रात में केवल गोपी ही अधिकारी हैं। भगवान शंकर को भी इसमें भाग लेने के लिए गोपी बनना पड़ा था। ये बाते कटरा मार्ग पर स्थित सृष्टि पैलेस में आयोजित दस दिवसीय श्री भागवत कथा के आठवें दिन श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए पुष्कर धाम से आए राष्ट्रीय संत दिव्य मुरारी बापू ने कही। स्वामी जी ने केशी बध अक्रूर का ब्रज में जाना आदि की कथा सुनाया। श्री कृष्ण बलराम का मथुरा भ्रमण, कंस द्वारा धनुष यज्ञ आयोजन, धनुष भंग कंस वध को कथा भी सुनाया। भगवान मथुरा में ही रुक गए गुरुकुल में पढ़ने गए और गुरु के मरे पुत्रों को दक्षिणा में लाकर दिया। उद्धव महाराज व्रज पधारे हैं और गोपियों के बातचीत में उनका ज्ञान का दंभ टूट गया । भक्ति के बिना ज्ञान मिठाई में केवल जलेबी है। उद्धव जी का ज्ञान फीका पड़ गया और उनके ऊपर भक्ति का रस चढ़ गया। उद्धव जी ने कहा कि मेरे गुरु तो गोपियां है। उन्होनें कहा कि जरासंध से युद्ध द्वारिका पुरी का निर्माण द्वारका गमन बालराम जी का रेवती से विवाह रुक्मणी हरण श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह का भाव पूर्ण विवेचन किया। कथा के मुख्य यजमान कपिल मुनि, व सुरेश सेठ है। इस मौक़े पर राजेश गुप्त, विश्वामित्र, सोनिया गुप्त, संत घनश्याम जी समेत बडी संख्या में श्रद्धालु भक्त मौजूद थे।