मुंगराबादशाहपुर(जौनपुर)। सृष्टि पैलेस में आयोजित दस दिवसीय भागवत कथा में पुष्कर धाम से पधारे राष्ट्रीय संत दिव्य मुरारी बापू ने
गिरिराज गोवर्धन को प्रत्यक्ष देवता बताते हुए कथा का रसपान कराया। महाराज जी ने श्री कृष्ण के अनेक बाल लीलाओं का वर्णन किया। भगवान के ऊपर गोबर भी अंगराग जैसा लग रहा है। भगवान अग्नि से खेलते हैं। पानी से खेलते हैं। गाय के बच्चों के दांत गिनते हैं। दिव्य मोरारी बापू ने माखन चोरी की लीला बिस्तार से सुनाया। यदि मन माखन जैसा विशुद्ध हो जाए तो भगवान ऐसे मन की चोरी करते हैं। मृदा बचपन लीला में भगवान ने यशोदा को अपने मुंह में सारे ब्रह्मांड का दर्शन करा दिया । दामोदर लीला में मैया ने भगवान को उखल दान दिया है। भगवान ने अर्जुन वृक्ष को गिराकर नल कुंवर मणि गरीब का उद्धार किया है । गोकुल में उपद्रव देखते हुए नंद बाबा ने समस्त गोकुल वासी वृंदावन आ गए । भगवान ने वत्सासुर बकासुर अघासुर का उद्धार करते हुए ब्रह्मा जी के मोह का नाश किया है। गोपाष्टमी के दिन भगवान ने गाय का पूजन किया है। इसी दिन वह गोपाल हो गए। गाय विश्व की माता है गाय के गोबर में लक्ष्मी जी मूत्र में गंगा जी का वास है। स्वामी जी ने कालिया मर्दन, कालिया पर कृपा वेणु गीत चीरहरण गोवर्धन धारण की लीला विस्तार से सुनाया। कन्हैया ने गिरिराज गोवर्धन की पूजा शुरू कराया और इंद्र की पूजा बंद करा दी। इस मौक़े पर गोवर्धन धारण की दिव्य झांकी का दर्शन कराया गया। इस भागवत कथा के मुख्य यमजान पूर्व चेयरमैन नगर पालिका कपिल मुनि व सुरेश सेठ हैं । मंच का संचालन संत घनश्याम दास जी महाराज व विश्वामित्र जी गुप्त ने संयुक्त रूप से किया।