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जौनपुर। सुख दुख मनुष्य के कर्मों का फल है – दिव्य मुरारी बापू, कथा का छठवा दिन।

मुंगराबादशाहपुर(जौनपुर)। जन्म मृत्यु कर्मों पर आधारित है कर्मों के अनुसार जन्म होता है और कर्मों के अनुसार ही मृत्यु होती है। सुख-दुख व्यक्ति के कर्मों का फल है। यह बातें नगर के कटरा मार्ग पर स्थित सृष्टि पैलेस में आयोजित भागवत कथा के छठवें दिन पुष्कर धाम से पधारे दिव्य मुरारी बापू ने श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किया।

 बापू ने बताया कि जिसके हृदय में किसी के प्रति अनिष्ट भाव नहीं हो उसका अनिष्ट कोई नहीं कर सकता। जब जीवन में कोई अनिष्ट की आशंका हो जाए तो चिंता न करें। चिंता करने से घटना नहीं टलेगी। इसीलिए भगवान का चिंतन करो। भगवान के चिंतन से संभव है वह दुर्घटना टल जाए । भगवान की कृपा से सब सुख संभव है। पूतना उद्धार का प्रसंग सुनाते हुए बापू ने कहा कि भगवान यदि किसी को पकड़ लेते हैं तो उसे छोड़ते नहीं। भगवान ने पहले पूतना के विष का पान किया फिर दूध का पान किया फिर प्राणों का पान करने लगे। भगवान ने पूतना का कर्म अच्छा नहीं है। खान-पान अच्छा नहीं है, किंतु भगवान ने उसे सद्गति दिया। संकट भंजन और तृणावर्त की कथा सुनाते हुए महाराज जी ने कहा कि गृहस्थ आश्रम छ कड़ा है। गृहस्थ आश्रम रूपी छ कड़ा तभी अच्छा चलेगा जब पति-पत्नी रूपी पहिए समान विचारधारा के हो। मैया ने भगवान को चलना सिखाया। नामकरण संस्कार में गर्गाचार्य जी पधारे और गुप्त रूप से गौशाला में श्री कृष्ण बलराम का नामकरण हुआ। ये भी भगवान की प्रेरणा थी। गर्गाचार्य जी ने भगवान की कुंडली ग्रह गोचर के संबंध में बताया। बापू ने श्री कृष्ण के बाल लीलाओं का वर्णन किया है। भागवत कथा के मुख्य यजमान पूर्व चेयरमैन कपिल मुनि व सुरेश सेठ है। मंच का संचालन घनश्याम दास जी महाराज व विश्वामित्र ने संयुक्त रूप से किया। कथा में संत निर्मल शरण दास, राजेश गुप्ता, कामता यादव, संगम लाल गुप्ता, प्रभा त्रिपाठी, राकेश गुप्ता, सुरेश सरकार आदि बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त मौजूद थे।

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