आगे मोटर बीमा बदलाव से बढ़ेगी सुरक्षा
आईआरडीएआई द्वारा हाल ही में जारी नई नियमावली से भारतीय मोटर बीमा क्षेत्र एक बड़े बदलाव से गुजर रहा है नई नियमावली ने बीमा के अभाव के प्रति जागरूकता में कमी जैसी क्षेत्र की दो प्रमुख चिंता दूर की है भारत में अगर हम देखें तो पाएंगे कि 70 फ़ीसदी दुपहिया वाहन 25 फ़ीसदी निजी कारों का बीमा नहीं कराया गया है वहीं लगभग 40 फ़ीसदी व्यवसायिक वाहनों का बीमा भी नहीं हुआ है कानून द्वारा थर्ड पार्टी बीमा अनिवार्य करने के बावजूद यह हालत है।
अब शीघ्र खत्म होगा सालाना बीमा नवीनीकरण का झंझट।आईआरडीएआई ने हाल ही में चार पहिया दो पहिया वाहनों के लिए 3 और 5 साल की अवधि की लॉन्ग टर्म मोटर थर्ड पार्टी के इंश्योरेंस पॉलिसी को अनिवार्य बना दिया है। इससे इंसुरेंस क्षेत्र में अभाव की समस्या तो होगी ही, साथ में इसके जरिए देश में मोटर इंश्योरेंस को एक नई गति मिलेगी कुछ लोग सोचे कि नए नियम आ जाने के बाद दो पहिया या चार पहिया वाहन खरीदना थोड़ा महंगा हो जाएगा, क्योंकि प्रीमियम ज्यादा लंबे समय तक के लिए होगा परंतु उन्हें इससे होने वाले लंबे समय के फायदे के बारे में भी सोचना चाहिए इससे हर साल बीमा नवीनीकरण करने की झंझट से मुक्ति मिलेगी साथ ही सड़कों पर दौड़ने वाले ज्यादा से ज्यादा वाहन बीमित और सुरक्षित होंगे। यह इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि एक ड्राइवर या वाहन चालक द्वारा होने वाले किसी की मौत के मामले में असीमित नुकसान होता है और जिसने बीमा नहीं कराया है उसे लाखों करोड़ों रुपए भरने पड़ सकते है।
अनावश्यक खर्च नहीं है मोटर बीमा
नए बदलाव से सम इंश्योर्ड में हुई वृद्धि मोटर बीमा क्षेत्र में ना सिर्फ बड़े पैमाने पर जन जागरूकता आएगी बल्कि दुर्घटना में घायल व मृतक के परिवार की आर्थिक सुरक्षा मिलेगी ज्यादातर लोग मोटर बीमा पॉलिसी को वाहन खरीदते समय इसलिए लेते हैं कि उन्हें ऐसा करना जरूरी लगता है एक बार औपचारिकता पूरी होने के बाद इसे अनावश्यक खर्च मानती है मुश्किल ही नवीनीकरण आते हैं उन्हें याद तब आती है जब ट्रैफिक पुलिस पकड़ती है या फिर किसी दुर्घटना के बाद पॉलिसी को प्रस्तुत करना पड़ता है।
बीमित गाड़ी पर कम से कम 15 लाख रुपए का कवर बीमाधारक को वर्तमान समय में हो रहा है
अक्सर ज्यादातर वाहन चालकों के पास पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी जरूर होती है। क्योंकि यह उन्हें उनकी मौत या शारीरिक अक्षमता के बदले अच्छा कवर प्रदान करती है। इसकी लागत भी काफी कम होती है पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी को आवश्यक बना दिए जाने से मृत्यु या स्थाई शारीरिक क्षमता के बदले में कम से कम ₹15 लाख कवर मिलेगा। इसे और भी आसान बनाने के लिए आईआरडीएआई ने स्पष्ट किया है कि ड्राइवर मालिक को एक से ज्यादा वाहनों के लिए एक से ज्यादा कंपलसरी पर्सनल एक्सीडेंट कवर लेने की जरूरत नहीं है, इसके अलावा अगर किसी के पास जनरल पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी है तो वाहन में साथ वाले के लिए पर्सनल एक्सीडेंट कवर खरीदना जरूरी नहीं होगा। इससे लोग पर्सनल एक्सीडेंट कवर के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूक होंगे। अगर पॉलिसी धारक के साथ कोई अवांछित दुर्घटना घट जाए तो उनको और उनके पारिवारिक सदस्य को अच्छी खासी आर्थिक मदद भी इससे मिलेगी।
अमर उजाला में 24 दिस.के अंक में प्रकाशित समाचार से।