दीपावली पर विशेष
जौनपुर (27 अक्टूबर)। दीपावली पर सूरन की सब्जी खाने की प्रथा पुरानी हो चुकी है। माना जाता है कि दीपावली पर सूरन नहीं खाया तो अगला जन्म छछूंदर का होगी। इसेे अंधविश्वास कहेे या प्रथा इसकी कोई प्रमाणिक जानकारी किसी के पास नहीं है। फिलहाल सूरन ने बड़ी छलांग लगाई महज दो दिन पहले 30 रुपये में बिकने वाला देशी सूरन 50 रूपये किलो तक पहुंच गया है। दीपावली पर भी भाव चढ़ने के बाद सूरन खाने के प्रेमी मायूस जरूर हुए हैं, लेकिन छछूंदर न बने इसके लिए घरों में सुरन ले जाना मजबूरी समझ रहे हैं। फिलहाल सूरन का रविवार के दिन भी महंगा बने रहने का आसार है। हालांकि देशी वाला सूरन 30 से 40 रुपये किलो बिक रहा है। किवदंती है कि दीपावली पर सूरन नहीं खाने से अगले जन्म में छछूंदर बनता है। इसे भी सूरन के भाव चढ़ने पीछे एक वजह मान कर देखा जा रहा है। दीपावली का संबंध आयुर्वेद के आदि पुरुष भगवान धन्वंतरी से है और इसलिए इसका रिश्ता स्वास्थ्य से भी जुड़ा है। घरों की सफाई पुराने बर्तनों को बदलने जैसे काम दीपावली पर होते हैं। सूरन सेवन की परंपरा भी उसी से जुड़ी है। लेकिन इसका छछूंदर से कोई सीधा संबंध नहीं है उनसे छछूंदर का कोई रिश्ता हो ऐसा कोई प्रमाणिक प्रमाण नहीं है लेकिन कोई भी मानने को तैयार नहीं है। मगर दीपावली पर इसके पीछे कुछ तथ्य जरूर है ऐसा नहीं होता तो लोग प्रकाश पर्व पर सूरन का हर हाल में इस्तेमाल क्यों करते। घरों में सूरन की सब्जी भरता, आचार तो बनता ही है गले में खुजली पैदा करने वाली सब्जी के लड्डू बनाकर भी लोग इस्तेमाल करते हैं। तमाम जगहों पर सूरन की सब्जी लगभग रोजाना जाती है। दरअसल सूरन जिमीकंद की नहीं बल्कि जड़ी-बूटी मानी जाती है इसकी शीतोष्ण प्रकृति होती है। इन्हीं गुणों के चलते ऋषियों ने दीपावली पर सूरन खाने को अनिवार्य कर दिया होगा। परंपरा आज भी कायम है और हालत यह है कि 2 दिनों में सूरन के भाव बढ़ने लगे हैं। सब्जी कारोबारी बबलू जायसवाल ने बताया कि 2 दिन पहले तक सुरन 30 रुपये 40 किलो के भाव बिक रहा था लेकिन उसकी कीमत 50 रूपये किलो तक जा पहुंची है। इसमें भी देसी सूरन ज्यादा महंगा बिक रहा है।