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जौनपुर। संदेश 24 न्यूज़ की ओर से सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त महाअभियान पर विशेष पढ़े

जौनपुर (2 अक्टूबर)

एक ही संकल्प हमारा प्लास्टिक हटाना लक्ष्य हमारा

2 अक्टूबर 2019 को महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के दिन देश भर में सिंगल यूज प्लास्टिक को बुधवार से पूरे देश में बैन किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2022 तक भारत को सिंगल यूज़ प्लास्टिक से देश को फ्री करने का लक्ष्य रखा है। पीएम ने 73 वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने भाषण में देश को प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त करने की बड़ी घोषणा की थी।
बताते चलें कि शहरों और गांव में सिंगल यूज प्लास्टिक की वजह से भारत दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों में शुमार हो चुका है। यहां हम अपने संदेश 24 न्यूज़ के पाठकों को सिंगल यूज प्लास्टिक से होने वाले खतरों से आगाह करते हुए आज यानी 2 अक्टूबर को इस महाअभियान की संकल्प के साथ प्लास्टिक से होने वाले खतरे एवं प्रदूषण के बारे में हम आपको विशेष परिशिष्ट देें रहे हैं।

फोटो- सिंगल यूज प्लास्टिक

सिंगल यूज़ प्लास्टिक के खिलाफ युद्ध
पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए बहुत से कारण जिम्मेदार हैं जिनमें प्लास्टिक एक बहुत बड़ा खतरा बनकर उभरा है दिन की शुरुआत से लेकर रात में बिस्तर में जाने तक प्लास्टिक ने किसी न किसी रूप में हमारे हर पल पर कब्जा कर रखा है। टूथ ब्रश से सुबह ब्रश करना हो या ऑफिस में दिनभर कंप्यूटर वर्क करना हो। बाजार से कोई समान लाना हो आरओ वाटर, बोतल में पानी लेकर चलना प्लास्टिक हर जगह हर समय है। जी हां जिस प्लास्टिक को हम बड़ी शान से अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाए हुए हैं वहीं अब हमारी नसों में घुलकर हमें खोखला करता जा रहा है। रसायन विज्ञान की खोज में यह प्लास्टिक मानवता के लिए धीमा जहर बन चुकी है।


पूरे विश्व में प्लास्टिक का उपयोग किस कदर बढ़ चुका है और हर साल पूरे विश्व में इतना प्लास्टिक जाता है कि इसे पूरी पृथ्वी की चार गुना बन जाए। जिस पानी को हम पीते हैं उसमें प्लास्टिक कण के रूप में मिलने लगे हैं। कई जगह समुद्र के पानी से बने नमक में भी यह प्लास्टिक मिला है। यही प्लास्टिक आगे जाकर हमें बीमार बनाएगा। अब वह समय आ गया है कि ऐसे कदम उठाना जरूरी हो गया है कि जिससे हम प्लास्टिक से पूरी तरह छुटकारा पाकर खुद के साथ-साथ अपनी भावी पीढ़ियों की भी जीवन को बचाएं।
आंकड़ों पर अगर गौर किया जाए तो 100 मिलियन टन प्लास्टिक का उत्पादन फिलहाल पूरी दुनिया में हो रहा है और यह 4% प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रहा है। भारत में भी प्लास्टिक का उत्पादन उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। औसतन हर भारतीय एक साल में करीब आधा किलो प्लास्टिक के कचरे का उत्पादन करता है इसमें ज्यादातर कूड़े का ढेर आसपास बिखरा हुआ कचरा है जो बदले में पर्यावरण में प्रदूषण को फैलाता है जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण बिगड़ता पर्यावरण दुनिया की सबसे बड़ी चिंता है। प्लास्टिक से पैदा होने वाले प्रदूषण को रोकना और प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। अरब पाउंड प्लास्टिक पृथ्वी के पानी स्रोतों के समुद्रों में पड़ा हुआ है। 50% प्लास्टिक की वस्तुएं हम सिर्फ एक बार काम में ले कर फेंक देते हैं। प्लास्टिक के उत्पादन में पूरे विश्व के कुल तेल का 8% खर्च हो जाता है। प्लास्टिक को पूरी तरह से खत्म होने में 500 से 1000 साल तक लगते हैं। प्लास्टिक की एक बैग में इसके वजन से 2000 गुना तक सामान उठाने की क्षमता होती है। हम जो कचरा फेंकते हैं उसमें प्लास्टिक का एक बड़ा सा भाग होता है। क्या आपने कभी सोचा यह कचरा जाता है। प्लास्टिक नाम बायोडिग्रेडेबल होता है नाम बायोडिग्रेडेबल ऐसे पदार्थ होते हैं जो बैक्टीरिया के द्वारा ऐसी अवस्था में नहीं पहुंच पाते जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान ना हो। इसलिए प्लास्टिक सालों साल जीवित रहता है। कचड़े की रीसाइक्लिंग जरूरी है क्योंकि प्लास्टिक की एक छोटी सी कण भी पूरी तरह से छोटे पॉलिटिकल में तब्दील होने में हजारों साल का समय लगता है।

फोटो- गाय माता खाती प्लास्टिक

प्लास्टिक की एक छोटी सी पॉलिथीन को फेंका जाता है तो यह अन्य चीजों की तरह अपने आप खत्म नहीं होता जैसा कि हम जानते हैं इसे खत्म होने में हजारों साल लगते हैं। यह पानी के स्रोतों में मिलकर पानी प्रदूषित करता है। सिंगल यूज प्लास्टिक सिर्फ 1/13 वां हिस्सा यानी लगभग 7.5 की रीसाइक्लिंग हो पाती है। बाकी प्लास्टिक मिट्टी में दफन हो जाती है जो पानी की सहायता समुद्र में पहुंचता है और वहां के जीवों को नुकसान पहुंचाता है।

फोटो- शिशुओं के लिए हानिकारक प्लास्टिक का निप्पल

प्लास्टिक हमारे शरीर के लिए और शिशुओं के बोतल में लगने वाला निप्पल भी होता है घातक?

डॉक्टरों के अनुसार रंगीन या सफेद प्लास्टिक के जार,अथवा किसी भी ऐसे उत्पाद में भोजन और पेय पदार्थों को खाना पीना स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है। बीसफेनाल (बीपीए) नामक जहरीला पदार्थ प्लास्टिक में मौजूद होता है। जो बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक हैं भोजन और पेय पदार्थों के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंचने के अलावा प्लास्टिक के घातक तत्व मस्तिष्क के विकास को भी रोकते हैं। इससे बच्चों की आसान अशक्त पर सबसे प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बीपीए शरीर में हार्मोन और उसके स्तर को बनाने की प्रक्रिया को भी प्रभावित करती है।इसका प्रश्न पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है विशेषज्ञों का मानना है कि शिशुओं के दूध की प्लास्टिक बोतल और निप्पल भी बेहद हानिकारक है।
आइए जानते हैं क्या है सिंगल यूज प्लास्टिक
आमतौर पर सुना जाता है कि सिंगल यूज प्लास्टिक बैन होने वाला है यह क्या है? इसके बारे में कई लोग अभी भी नहीं जानते ? सिंगल यूज प्लास्टिक ऐसा प्लास्टिक है जिसका इस्तेमाल हम सिर्फ एक बार करते हैं। और फिर वह डस्टबिन में चला जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो इस्तेमाल करके फेंक दी जाने वाली प्लास्टिक की सिंगल यूज़ प्लास्टिक कहलाता है। इसे हम डिस्पोजेबल प्लास्टिक भी कहते हैं। इसका इस्तेमाल हम अपने रोजमर्रा के काम में करते हैं जैसे प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक की बोतलें, स्ट्रक, कप, प्लेट, फूड पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक, गिफ्ट, चाय कप और काफी पानी की डिस्पोजेबल कप्स आदि आते हैं।
हमारे बीच प्लास्टिक नहीं है तो क्या है इसका विकल्प जानते हैं?

फोटो-बाजारों में झ़ोला का प्रयोग करें

प्लास्टिक की थैलियों के विकल्प के रूप में जूट, कपड़ा और पेपरबैग को लोकप्रिय बनाया जाना चाहिए। प्लास्टिक की प्लेट्स की जगह कमल की पत्तों से बने पत्तल, केले के पत्तों से बनी पत्तल या महुआ के पत्तों का पत्तल,जंगली ढाक के पत्तों से बने पत्तलो को यूज करने के साथ कांच और मिट्टी के बर्तनों में भोजन करना स्वास्थ्यकर है। प्लास्टिक की बोतल या केन में पानी पीने के बजाय कांच और स्टील के गिलास अथवा तांबे की ग्लास का प्रयोग कर सकते हैं। चाय पीने के लिए सबसे बेहतर मिट्टी का कुल्हड़ होता है जिसे आमतौर पर बाजारों में प्रयोग होता है।
समुद्री जीव व गायों की मृत्यु का कारण प्लास्टिक?
एक सरकारी रिपोर्ट को माना जाए तो गायों की असामयिक मृत्यु के पश्चात हुई पोस्टमार्टम से आमतौर पर उनके पेट में 8 किलोग्राम पॉलिथीन की मौजूदगी का पता चला है। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 2003 के तहत कई प्रांत में पॉलिथीन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्रतिबंध केवल 20 माइक्रोन से कम और 20x 30 वर्ग सेंटीमीटर आकार से कम के लिए उपयोग में है। रंगीन पॉलिथीन की रीसाइक्लिंग पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचाती है इसलिए इसे प्रतिबंधित भी किया जाता है। समुद्र में तैरता हुआ प्लास्टिक समुद्री जीवों को जेल की तरह दिखता है। विशेष रूप से यह उन समुद्री कछुओं के लिए खतरा होता है जो अपने भोजन के रूप में जेल को खाते हैं। जिस हिसाब से प्लास्टिक का कचरा बढ़ रहा है आशंका जताई जा रहे कि अगर प्लास्टिक कचरा यूं ही बढ़ता रहा तो 2050 तक समुद्र में मछलियों से अधिक प्लास्टिक कचरा नजर आएगा।
प्लास्टिक की थैली से उत्पन्न समस्याएं
प्लास्टिक की थैली या बैग्स बहुत से जहरीले केमिकल से मिलकर बनते हैं। जिनसे स्वास्थ्य और पर्यावरण को बहुत हानि पहुंचती है प्लास्टिक बॉक्स बनाने में जाइलिन, एथिलीन, ऑक्साइड और बेंजेन जैसे खतरनाक केमिकल्स का इस्तेमाल होता है। जो इंसानों, जानवरों, पौधों और सभी जीवित चीजों को नुकसान पहुंचाते हैं। कुछ विकसित देशों में प्लास्टिक के रूप में निकला कचरा फेंकने के लिए खास केन जगह जगह रखी जाती है। इन केनों में बायोडिग्रेडेबल कचरा ही डाला जाता है। असलियत में छोटे से छोटा प्लास्टिक भले ही वह चॉकलेट का कवर ही क्यों न हो बहुत सावधानी से फेंका जाना चाहिए। क्योंकि प्लास्टिक को फेंकना और जलाना दोनों ही समान रूप से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। प्लास्टिक जलाने पर भी भारी मात्रा में जहर का उत्सर्जन होता है जो सांस लेने पर शरीर में प्रवेश प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसे जमीन में फेंका जाए या गाड़ दिया जाए या पानी में फेंक दिया जाए इसके हानिकारक प्रभाव कम नहीं होते हैं।
प्लास्टिक को13 देशों ने वैन कर दिया है प्लास्टिक को यूज करने पर भारी भरकम जुर्माना भी लगाया गया। प्लास्टिक हमारे लिए ही नहीं हमारे भावी भविष्य के लिए भी खतरा बनता जा रहा है आइए हम सब मिलकर इसे बचाने का प्रयास करें।
इसलिए आइए हम लोग संदेश24 न्यूज़ के साथ शपथ ले की राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के दिन से ही प्लास्टिक का प्रयोग करना पूरी तरह बंद कर देंगे। बाजार में जाने से पहले हाथ में जूठ अथवा कपड़े की बने झोले लेकर ही सामान खरीदने जाएंगे।

उत्तर प्रदेश में प्लास्टिक और थर्माकोल बैन होने के बाद जुर्माने के साथ-साथ सजा का भी प्रावधान रखा गया है।
100 ग्राम तक 1000 रूपए, 101 ग्राम से 500 ग्राम तक 2000 रूपए, 501 ग्राम से 1 किलोग्राम तक 5000 रूपए, 1 किलोग्राम से 5 किलोग्राम तक 10000 रूपए, 5 किलोग्राम से अधिक प्लास्टिक या थर्माकोल रखने पर 25000 रूपए जुर्माने के साथ साथ एक से छः माह तक का कारावास भी हो सकता है।

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