जौनपुर (22 जून) जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान मे नालसा द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं संबंधी विषय पर लोगों को जानकारी प्रदान करने हेतु मिटिंगहॉल तहसील सदर जौनपुर मे हुआ। विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन सुश्री एकता कुशवाहा, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जौनपुर की अध्यक्षता में किया गया।
इस अवसर पर सचिव महोदया द्वारा लोेगों को सम्बोन्धित करते हुए यह बताया गया कि 09 नवंबर को राष्ट्रीय कानूनी सेवा दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य वैकल्पिक विवाद समाधान यांत्रिकी के माध्यम से विवादों के निपटाने को बढा़वा देना व अदालतों पर मुकदमेबाजी के बोझ को कम करना है। पूर्व में भी व्यक्तियों के बीच विवाद को पंचनाम के लोगों के समूह द्वारा सुन व समझकर हल किया जाता रहा है। अब इसे लोक अदालत के रुप में वर्ष 1987 से वैधानिक स्वीकृति प्राप्त है। लोक अदालत में मोटर दुर्घटनाओं में मुआवजे के लिए दावों से संबंधित मामले, भूमि अधिग्रहण मुआवजे सम्बन्धित मामलों के, दीवानी प्रकृति के मामले, आपराधिक प्रकृति के शमनीय मामले, पारिवारिक/वैवाहिक विवाद सम्बन्धित मामलें तथा लघु प्रकृति के मामले संदर्भित हो सकते है। लोक अदालत पारंपरिक एडीआर के तीनों रुपों (मध्यस्थता, मध्यस्थता और सुलह) का मिश्रण है।
सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 89 मुकदमें को सुलह-समझौता से निपटारों का उपबन्ध करती है। जिसमें लोक अदालत के माध्यम से समझौता व अन्य के माध्यम से समझौता कराया जाना शामिल है। सुलहकर्ता पक्षकारों को विवाद के पारस्परिक रुप से संतोषजनक सहमति तक पहुंचने में सहायता करते है। विवादों का समाधान आमतौर पर निजी तौर पर होता है। पक्षकारों की गोपनीयता बनी रहती है तथा समय और धन की बचत होती है। लोक अदालत या लोगों की अदालत में न्यायिक अधिकारी की उपस्थिति में बातचीत की सुविधा होती है व इसका आदेश अंतिम और पक्षकारांे पर बाध्यकारी होता है। इसमें विवादों का निस्तारण पक्षकारों की सहमति से होता हैं। अतः इसका आदेश/निर्णय अपीलीय नहीं होता है। लोक अदालत की मुख्य विशेषता इसका किफायती होना है। इसमें कोर्टफीस का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। इसमें पक्षकारों को अधिवक्ता नियुक्त करने की आवश्यकता नही होती है।लोक अदालत द्वारा पारित आदेश/निर्णय को अन्य निर्णय के समान अदालत द्वारा निष्पादित कराया जा सकता हैं। समझौता से संतुष्ट होने पर ही समझौता कराया जाता है।
सचिव द्वारा नालसा द्वारा आयोजित विभिन्न योजनाओं जैसे-आपदा पीडि़तों से संबंधित वाणिज्यिक, यौन शोषण पीडि़तों सेे संबंंधित, असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों से संबंंधित, बच्चों के संरक्षण सम्बन्धित, मानसिक रुप से बीमार और मानसिक रुप से विकलांग व्यक्तियों से सम्बंधित, गरीबी उन्मूलन योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से सम्बन्धित, नशा उन्मूलन से सम्बन्धित, वरिष्ठ नागरिकों से सम्बन्धित, एसिड हमले के पीड़ितों से सम्बन्धित आदि योजनाओं के विषय से सम्बन्धित जानकारी दी गई। तहसीलदार सदर ज्ञानेन्द्र सिंह द्वारा शिविर को संबोधित करते हुए उपस्थित लोगों को छोटे-छोटे वादों को मध्यस्थता केन्द्र एवं लोक अदालतों के माध्यम से निस्तारण कराये जाने हेतु प्रोत्साहित कियाा गया ।
इसी क्रम में सचिव द्वारा जिला कारागार का निरीक्षण व विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया जिसमें जेल अधीक्षक एके मिश्र, जेलर रामप्रताप प्रजापति, जेल विजिटर अमित त्रिपाठी, अम्बरीष श्रीवास्तव, व श्रीमती मीरा सिंह व जेल बन्दी उपस्थित रहे। सचिव द्वारा बन्दियों को संवैधानिक अधिकारों एवं संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों की जानकारी प्रदान कराते हुए किसी भी प्रकार की विधिक सहायता की आवश्यकता होने पर पत्र प्रेषित किये जाने हेतु निर्देशित किया गया।इस अवसर पर तहसीलदार ज्ञानेन्द्र सिंह, नायब तहसीलदार मान्धाता सिंह, राजस्व निरीक्षक अखिलेश पाठक, लेखपाल अजय सेठ, पैनल अधिवक्ता देवेन्द्र यादव व तमाम नागरिक उपस्थित रहे।