जौनपुर (27 मई)। जिला अदालत द्वारा हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा पाए हुए हत्यारों ने अपील निरस्त होने के पश्चात सुप्रीम कोर्ट द्वारा फटकार लगाने पर सोमवार को अपर सत्र न्यायाधीश ईसी ऐक्ट की अदालत में समर्पण कर दिया।
मामले के अनुसार वादी मुकदमा रामदुलार मिश्र निवासी ग्राम राजेपुर थाना जलालपुर ने केराकत थाने में मामला पंजीकृत करवाया था दिनांक 8 नवंबर 1980 को शाम 5:30 बजे वह अपनी ससुराल गया था। तभी जमीनी रंजिश को लेकर उसके साले प्रभाकर मिश्र निवासी ग्राम कटका थाना केराकत को उसके पड़ोसीगण माया शंकर, राकेश, उमाशंकर, कृपाशंकर व शिव शंकर ने कट्टा, लाठी व गड़ासा लेकर हमला कर दिए। बीच बचाव करने में प्रभाकर की माँ एवं वादी को भी चोटें आईं।लेकिन आरोपियों ने गोली मारकर प्रभाकर मिश्र की हत्या कर दिया।
न्यायालय में परीक्षण के दौरान शिव शंकर की मौत हो गई और उमाशंकर को अदालत ने साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया जबकि अवयस्क राकेश की पत्रावली अलग करते हुए अदालत ने उसे किशोर न्याय बोर्ड में भेज दिया। दिनांक 17 जनवरी 1984 को अदालत ने सगे भाई मायाशंकर व कृपाशंकर को हत्या के आरोप में दोषी पाते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी। दोनों आरोपियों ने उच्च न्यायालय में इस फैसले के खिलाफ अपील किया था, किंतु 14 सितंबर 2018 को उनकी अपील निरस्त कर दी गई और 45 दिन के अंदर दोनों आरोपियों को न्यायालय में समर्पण करने का आदेश दिया गया। तभी से दोनों हत्यारे फरार थे और न्यायालय द्वारा कुर्की की कार्यवाही उनके खिलाफ लंबित थी। इसी दौरान दोनों हत्यारे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके समर्पण से बचने का अनुरोध किया, किन्तु सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फटकार लगाते हुए 4 सप्ताह के अंदर सजा देने वाली अदालत में समर्पण करने का आदेश देते हुए याचिका खारिज कर दिया। अंततः कोई रास्ता ना मिलने पर दोनों भाइयों ने सोमवार को अदालत में समर्पण कर दिया जहां से न्यायालय ने उन्हें शेष सजा भुगतने के लिए जिला कारागार में भेज दिया।