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जौनपुर। आज के नेता रेगिस्तानी झाड़ हो गए वाकपटुता में ताड़ हो गए।

जोगियाँ में कवि सम्मेलन एव मुशायरा

जौनपुर (20मई)। चन्दवक थाना क्षेत्र के जोगियाँ स्थित जगदीश पाठक के आवास पर रामजानकी मन्दिर के वार्षिकोत्सव के मौके पर अक्षर आरसी साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच के बैनर तले रविवार को आयोजित कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में कवियों ने छंद मुक्तक शेर ओ शायरी गीत गजल कलाम और हास्य व्यंग्य की फुलझड़ियां छोड़कर श्रोताओं को देर रात्रि तक बांधे रखा।
बृजेश लहरी की सरस्वती वंदना जयति जय शारदे माँ से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। माँ को समर्पित धर्मेंद्र एहसास की गीत हवाले आयी है खुशबू तेरे दरबार की ए माँ सराही गयी।देश की निगहबानी में शहीद जवानों की दास्तां को।

कविता में पिरोते हुए सूबेदार पांडेय आत्मानन्द ने कुछ यूँ पढा सरहद पर जिसकी चिता जली वह सच्चा हिदुस्तानी था। तो नंदलाल राढ़ी ने आज के नेता रेगिस्तानी झाड़ हो गए वाकपटुता में ताड़ हो गए झूठ का पहाड़ हो गए पढ़ा तो श्रोता हंसते हंसते लोटपोट हो गए।
बृजेश लहरी ने ग्रामीण परिवेश की तस्वीर में भोजपुरी मिठास भरते हुए सुनाया कुहूकत कोयलिया बा अमवां क डरिया बा चहकत चिरइया होत भोर हे सखिया चला चली गउवाँ की ओर।सलाम दुआ और खैरियत सब सिकुड़ गया मंजिले सो गई और कारवा बिछुड़ गया मुन्ना घायल के गजल की तरन्नुम जब मजमें में तैर गयी तो लोग देर तक तालियाँ बजाते रहे।संचालक डा मीनाई ने नबी की बारगाह में कलाम पेश करते हुए पढा तेरे रहमो करम का मुझे इंतजार बहुत है तो संघर्षो से लड़ने का जोश भरते हुए उनकी दूसरी रचना मेरी प्यास से उलझकर देख दरिया तेरी बाढ़ का नशा उतर जायगा पर खूब वाहवाही मिली।जनाब इकबाल ने कहा खुदा के एहसान से मजमें में शामिल होने पर फक्र महसूस कर रहा हूँ।इंसान और इंसानियत की रवायत पर प्रहार करते हुए उनकी नज्म पढाने में जिनको जमाने लगे सब हमी को सिखाने लगे मकाँ मेरा शोलों में जलने लगा मेरे दोस्त नजरें छुपाने लगे खूब सराही गयी।मान्धाता सिंह ने रतिया सुततै ही झट से बिहान हो गइल सुनाकर लोगो को बचपन का एहसास कराया। साहब लाल सहज झंडा तिरंगा प्यारा हिन्द को प्रणाम करू बन्देमातरम गीत स्वर को प्रणाम करू सुनाकर राष्ट्रीयता का भाव भरने का प्रयास किया। पवन पांडेय ने देशवासियो और सैनिकों को आगाह करते हुए करे घुसपैठ तो दुश्मन को यूं मिटा देना डिगे ना पैर सिर सरहद पर चढ़ा देना पढा तो श्रोताओ में जोश भर गया। उमाशंकर रघुबंशी की गजल सादगी है हिसाब लिख देना आप है लाजबाब लिख देना सुनकर सभी भाव विभोर हो गए। सुशील चन्द्र भिड़न्त रामधनी आनन्द ने भी कविता पाठ किया। अध्यक्षता प्रधानाचार्य मदनमोहन शुक्ल और संचालन डा बहादुर अली खान मीनाई ने किया।मुख्य रूप से जगदम्बा सिंह प्रधान रामजीत यादव नरेंद्र पांडेय हंसराज यादव लालधारी यादव अशोक पांडेय उपस्थित रहे।

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