जौनपुर। शाबाश एसडीएम साहब! एक बार फिर आपने मड़ियाहूं तहसील के अधिवक्ताओं के साधारण सभा की सोच पर पानी फेर दिया और और जो चाहा आपने वही अधिवक्ताओं से करवाने में कामयाब हो गए इसलिए आप बधाई के पात्र हैं।
जी हां आपने सही पढ़ा। यह हाल है मडियाहू तहसील बार एसोसिएशन का! जो कंधे से कंधा मिलाकर चलने में इस कदर माहिर हो चुका है जब चाहे वह अधिकारियों के खिलाफ हड़ताल की दावा कर देता है और जैसे ही अधिकारी अपनी तेवर दिखाता है बार एसोसिएशन के गुट में शामिल चंद लोगों द्वारा वापस ले लिया जाता है। प्रस्ताव वापस लेने का ठीकरा किसी कमजोर अधिवक्ता अथवा मीडिया अधिवक्ता के ऊपर ठोकने के बाद अपनी पीठ पूरे तहसील में घूम-घूम कर थपथपाते रहते हैं।
हड़ताल के पीछे अधिवक्ताओं की क्या थी मंशा
मड़ियाहूं तहसील के जूनियर अधिवक्ता रामधारी यादव द्वारा मड़ियाहूं तहसील एसोसिएशन को एक पत्र भेजकर उपजिलाधिकारी कोर्ट पर आए दिन फाईलों में हो रही अनियमितता, एसडीएम साहब द्वारा फर्देकाम पर आदेश नहीं लिखने और न्यायालय पर आदेश में फाइल लेने के बावजूद कई माह से आदेश नहीं करने जैसी समस्याएं, प्रतिदिन सैकड़ो मुकदमा सुनने के बावजूद आदेश नहीं करने, जैसी तमाम समस्याओं को अवगत कराकर निस्तारण करने की मांग किया था। जिस पर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने अधिवक्ताओं से विचार करने की बात कही।
अध्यक्ष ने बुलाई अधिवक्ताओं की साधारण सभा की बैठक
मड़ियाहू तहसील एसोसिएशन के अध्यक्ष सूर्यमणि यादव ने जूनियर अधिवक्ता रामधारी यादव के पत्र को गंभीरता से लेते हुए दो दिन पहले अधिवक्ताओं की साधारण सभा की बैठक हुई। बैठक में यह निर्णय लिया गया की जब तक अधिवक्ताओं की समस्याओं को दूर नहीं कर लिया जाता तब तक न्यायालय चलने से मुकदमे का भार अधिवक्ताओं को ऊपर बढ़ेगा और आदेश का भार उपजिलाधिकारी मडियाहू के ऊपर भी बढ़ता रहेगा। इसलिए पहले एसडीएम द्वारा रखे गए सैकड़ो फाईलों का आदेश निस्तारित हो जाए उसके बाद कोर्ट चलाने की बात होगी। बैठक में मीडिया अधिवक्ता के ऊपर भी उंगली उठाई गई कि कहा गया मीडिया अधिवक्ता एसडीएम के तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं जबकि एसडीएम साहब का कार्य बहुत बुरा है। इस बात पर उंगली उठाने वाले के साथी अधिवक्ताओं ने तालियां भी खूब बजाई। बैठक के बाद एसडीएम के कार्यशैली के विरोध में बाकायदा बार एसोसिएशन के महामंत्री देवेंद्र त्रिपाठी द्वारा हस्ताक्षरित प्रस्ताव को समस्त न्यायालयों में 18 नवंबर तक सांकेतिक हड़ताल पर जाने की दे दी गई। अधिवक्ता हड़ताल जारी रहे इसके लिए न्यायालय में बैठी महिला एसडीएम से भी भीड़ गए। जब वह न्यायालय में बैठने की जीद पर यह कहती हुई अड़ी रही कि शासन का आदेश है मैं फाइलों का निस्तारण करूंगी, तो अधिवक्ताओं ने न्यायालय छोड़कर बाहर निकल गए इसके बाद वह एक दो फाइल देखने के बाद उठ कर चली गई। जिसके बाद अधिवक्ता अपनी अपनी जीत पर खुश होते रहे।
ऐसा क्या कारण हुआ कि अधिवक्ताओं की साधारण सभा को भूल गए अध्यक्ष
गुरुवार को बार अध्यक्ष सूर्यमणि यादव महामंत्री देवेंद्र त्रिपाठी की अगुवाई में एसडीएम के बुलावे पर उनकी समक्ष एक बैठक हुई। बैठक में एसडीएम कुणाल गौरव ने अधिवक्ताओं के प्रतिनिधि मंडलों से कहा की एक हफ्ते में सारी मांगों को पूरा कर दिया जाएगा आप हड़ताल को वापस लेकर शासन के मंशानुरूप न्यायालय को चलने दे। यह क्या जो बात बात पर साधारण सभा की बैठक बुलाने की बात करने वाले अध्यक्ष सुर्यमणी यादव ने तत्काल फैसला ले लिया की 18 नवंबर से न्यायालय रेगुलर चलेगा अपने पीछे 214 अधिवक्ताओं के मनोबल पर इस कदर पानी फेर दिया की साधारण सभा को ही भूल गए और बार का माननीय अध्यक्ष होने के नाते खुद स्वयंभू बन गए। यहां साधारण सभा की कोई याद नहीं आई और शुक्रवार को बार का प्रस्ताव न्यायालय चलने के लिए दे दिया गया इस प्रस्ताव की बात किसी भी अधिवक्ता के गले से नहीं उतर रहा। खुद शिकायतकर्ता जूनियर अधिवक्ता रामधारी यादव ने संदेश 24 न्यूज़ से कहा कि जब अध्यक्ष छोटी सी छोटी बात साधारण सभा में ले जाकर करने की बात करते हैं तो फिर उनकी ऐसी क्या मजबूरी हो गई थी कि 18 नवंबर को साधारण सभा की बैठक न बुलाकर हड़ताल वापस ले लिया यह 214 अधिवक्ताओं के साथ अन्याय है।
मड़ियाहूं एसडीएम से कई बार हुआ अधिवक्ताओं से भिड़त
मड़ियाहूं तहसील के अधिवक्ताओं से कई बार उप जिलाधिकारी श्री गौरव से विभिन्न समस्याओं को निपटाने के लिए भिड़त हो चुका है। लेकिन आज तक कोई भी समस्या का निपटारा उपजिलाधिकारी कार्यालय से नहीं हो पाया है उनके कार्यालय में व्याप्त कमियां अधिवक्ताओं के ब्लड प्रेशर को आए दिन बढ़ाता रहता है। एसडीएम कार्यालय में किसी अधिवक्ता की फाइल को ढूंढना हो अथवा नोटिस लगवाना हो तो सिर का पसीना एड़ी से निकालना पड़ता है। इसके बावजूद उस दिन कोई कार्य नहीं हो पाता है। यहां तक की अधिवक्ता उत्कोच दे देकर थक जाता है और प्राइवेट कर्मचारी उत्कोच लेकर मजे मारता है। जब न्यायालय चलाने की बात हो अथवा फाइल पर हो हल्ला हो तो एसडीएम कार्यालय पुलिस बुलाने में कोई गुरेज नहीं करते हैं।
मड़ियाहू तहसील में दो गुटों में अधिवक्ताओं के बंटने से हो रही परेशानी
मड़ियाहू तहसील में अधिवक्ताओं की समस्याओं को निपटाने के काम कम है अपनी समस्याओं को निपटाने के लिए ज्यादा होता है। कुछ दिन पहले की बात ले लिया जाए तो यहां तहसीलदार कृष्णराज सिंह तैनात रहे। अधिवक्ताओं ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के लिए मोर्चा खोल दिया अभी मोर्चा चल रहा था कि एक गुट ने तहसीलदार के साथ हो लिया जिसके कारण यह मोर्चा धम्म से गिर पड़ा और भ्रष्टाचार के लिए खुलकर खड़े हुए अधिवक्ता अपनी आंखों में पानी की धार निकालते हुए वापस चले गए। ऐसे तो बहुत उदाहरण देने के लिए है लेकिन इतना बहुत है।
यह समाचार संदेश 24 न्यूज़ का विचार नहीं है बल्कि यह जो मड़ियाहूं तहसील में हो रहा है उसकी आंखों देखा हाल लिखा गया है। इससे किसी को पीड़ा पहुंचती है तो यह संयोग मात्र होगा।