जौनपुर। जिले के रामपुर थाना क्षेत्र के धनंजयपुर गांव में तालाब एवं भीटे की विवादित जमीन पर बीती रात अज्ञात लोगों द्वारा बजरंगबली की मूर्ति स्थापित कर पूजा पाठ करने से दो वर्गों में रविवार की सुबह तनाव व्याप्त हो गया। देखते ही देखते गांव में हिंदू संगठनों ने पहुंचकर विवादित जमीन पर भव्य मंदिर बनाने की बात कहने लगे जिससे गांव में और तनाव व्याप्त हो गया। सूचना पर पहुंची प्रशासन ने घंटों पंचायत के बाद भी जब मामला नहीं सुलझा तो दोनों पक्षों को समझा बुझाकर अगले बुधवार तक मामले को टाल दिया है।
धनंजयपुर गांव में ग्रामप्रधान मकसूद आलम द्वारा बीते 3 वर्षों से एक योजना के तहत मुस्लिम एवं अन्य बस्तियों का पानी निकालने के लिए नाली का निर्माण कराकर उसे पटेल बस्ती में स्थित तालाब के बगल भीटे की जमीन में सोख्ता बनवाने की बात कह रहे हैं जिसका ग्रामीणों द्वारा काफी विरोध हो रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि अगर तालाब के किनारे नाले का निर्माण किया जाएगा तो तालाब के अंदर नहाने वाले ग्रामीण एवं मछली आदि में संक्रामक बीमारियां फैलेगी। इसी को लेकर एक साजिश के तहत शनिवार की रात तालाब के बगल स्थित भीटे की जमीन पर बजरंगबली का एक भारी भरकम मूर्ति रख दिया गया। रविवार की सुबह पटेल बस्ती एवं आसपास की बस्ती में यह अफवाह फैला दी गई की तालाब के बगल बजरंगबली की मूर्ति अचानक उभर आई है इसके बाद महिलाएं एवं पुरुष मूर्ति वाले स्थान पर पहुंचकर पूजन अर्चन का कार्य शुरू कर दिया। बताया जाता है कि ग्राम प्रधान मकसूद आलम ने पुलिस अधीक्षक जौनपुर को विवादित स्थल पर मूर्ति रखने की शिकायत किया। लगभग 12:00 बजे क्षेत्राधिकार उमाशंकर सिंह, नायब तहसीलदार सतेंद्र मौर्य, संदीप कुमार सिंह एवं रामपुर थानाध्यक्ष मनोज पांडेय पूरी फोर्स लेकर मौके पर पहुंचे। देखते ही देखते मौके पर सैकड़ो लोग जमा हो गए। घंटों पंचायत चलने के बाद कोई मामला सुलझता नहीं देखकर थानाध्यक्ष मनोज पांडेय ने स्वतंत्रता दिवस का हवाला देते हुए अगले बुधवार तक मामले को टाल दिया है तब तक थानाध्यक्ष ने कहा कि कोई भी पक्ष विवादित जमीन पर नहीं जाएगा। 1:30 बजे थानाध्यक्ष बजरंगबली की मूर्ति को लेकर थाने पर चले आए।
करीब 3:00 बजे 25 की संख्या में विश्व हिंदू परिषद एवं अन्य हिंदू संगठन के लोग रामपुर थाने पर ग्रामीणों के साथ पहुंचकर थानाध्यक्ष से बातचीत के बाद बजरंगबली की मूर्ति की मांग किया। इसके बाद थानाध्यक्ष ने इस लिखित शर्त के साथ मूर्ति को लौटा दिया कि कोई भी पक्ष विवादित स्थल पर मूर्ति की स्थापना नहीं करेगा। इसके बाद सभी हिंदू संगठन मूर्ति लेकर गांव की तरफ चले गए। गांव में तनावपूर्ण शांति बनी हुई है।