नवनीत सिंह रिपोर्टर नेवढ़िया
जौनपुर। जिले की नेवढ़िया थाने पर हत्या के मामले में पूछताछ के लिए दो दिन से लेकर आए युवक को नहीं छोड़ने पर पिता की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो जाने के कारण परिजनों ने थाने में शव रखकर बैठ गए हैं। प्रत्यक्ष दर्शियों की माना जाए तो पिता की हार्ट अटैक से मौत हुई है।
बताया जाता है कि 11 मार्च को भदोही जिले से सैदूपुर गांव में एक बारात आई थी। बारात में आर्केस्ट्रा के दौरान अनिल सरोज नामक युवक की मारपीट में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। इसके बाद परिजनों की तहरीर पर थानाध्यक्ष नेवढ़िया प्रशांत पांडेय घटना की जानकारी करना शुरू कर दिया। इसी घटना को लेकर थानाध्यक्ष प्रशांत पांडेय ने 4 से 5 लोगों को पूछताछ के लिए थाने पुलिस ने पकड़ कर लाया था। बताया जाता है कि बुद्धिपुर गांव निवासी डॉक्टर नंदलाल पटेल का पुत्र संदीप पटेल और उसका भाई भी आया हुआ था।
पुलिस द्वारा बेटे को पकड़े जाने की समाचार जब नंदलाल पटेल को मिला तो वह नेवढ़िया थानाध्यक्ष से घटना में लड़के को शामिल नहीं होने की बात कहते हुए छोड़ने की निवेदन किया। लेकिन पुलिस ने कहा कि जब तक पूछताछ नहीं हो जाता तब तक संदीप पटेल छोड़ा नहीं जाएगा। बताया तो यहां तक जाता है कि पिता ने प्रताड़ित करने का आरोप लगाकर चिल्लाना शुरू कर दिया। इसके बाद उनके डिस्पेंसरी पर उनकी अचानक तबीयत खराब हो गई। परिजनों ने उठाकर थाने से अस्पताल ले गए जहां पर डॉक्टर ने नंदलाल पटेल की मौत होना बताया। मौत होने की खबर जैसे ही गांव में लगी 50 की संख्या में शव लेकर थाने पहुंचे और बंदी लॉकअप के पास ले जाकर रख दिया और थाने के अंदर ही न्याय पाने के लिए बैठ गए हैं। पुलिस ने आनन-फानन संदीप पटेल को छोड़ दिया। यह समाचार जैसे ही पुलिस महकमें को लगी हड़कंम्प मच गया। जौनपुर जिले पर डीआईजी साहब की मीटिंग में रहे उच्चाधिकारी अपर पुलिस अधीक्षक शैलेंद्र कुमार सिंह, क्षेत्राधिकारी मडियाहू उमाशंकर सिंह घटना की समाचार पाकर तुरंत नेवढ़िया थाने के लिए चल दिए हैं। वायरलेस सेट द्वारा सभी थानों की फोर्स को बुलाने की सूचना भी मिल रही है। समाचार लिखे जाने तक थाने की पर 50 की संख्या में लोग जुटे हुए हैं।
पीड़ित संदीप पटेल ने पुलिस पर प्रताड़ित करने का लगाया आरोप
दो दिन से थाने में पुलिस कर्मियों द्वारा पूछताछ करने के बाद शादी में मारपीट करने के लिए मृतक अनिल सरोज के परिजनों से पहचान करवाया लेकिन उन्होंने मारपीट में संदीप के शामिल होने से इनकार कर दिया। आरोप है कि इसके बावजूद पुलिस उसे थाने में बैठाए रखा। संदीप ने बताया कि जब घर जाने की बात कहता था तो उसे मारा पिटा जाता था। जब संदीप के पिता की सदमे से मौत हो गई तब उसे छोड़ा गया। अब पीड़ित परिवार मौत का कारण पुलिस को ही मान रही है।
आखिर नेवढ़िया पुलिस को संदीप की परिजनों से क्या चाहिए था
मृतक डॉक्टर नंदलाल पटेल की मौत से पुलिस द्वारा पहचान कराने के बाद भी उनके पुत्र को बैठाएं रखना यक्ष प्रश्न बना हुआ है। अगर युवक दोषी था तो उसको उसके पिता की मौत की बाद क्यों छोड़ा गया। पुलिस ने पहचान करने के बाद भी थाने में बैठाकर ऐसी कौन सी पूछताछ प्रताड़ित कर किया जा रहा था। जबकि संविधान में है कि किसी को 24 घंटे से ज्यादा थाने में नहीं रखा जा सकता, उसको या तो न्यायालय भेजा जाएगा अथवा छोड़ दिया जाएगा। लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया जिसके कारण उसके पिता की सदमे से मौत हो गई। पुलिस को संदीप से कौन सी पारितोषिक चाहिए था कि उसके पिता की मौत के बाद यक्ष प्रश्न बनकर रह गया है।