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जौनपुर। बेबाक बोलने वाली पूर्व विधायक सुषमा पटेल आखिर सवाल पूछने पर क्यों भागी।

जौनपुर। समाजवादी पार्टी से भाजपा में शामिल एवं विधानसभा से लेकर जनता की अदालत तक बेबाक बोलने वाली नेता सुषमा पटेल पत्रकार के सवाल की जवाब में इधर उधर की बात करने लगी जब सवाल का जवाब नहीं दे पाए तो भाजपा नेताओं के सामने उनकी ही वाहवाही करने लगी। दौर था मड़ियाहूं नगर के वरिष्ठ भाजपा नेता एवं राज्यपाल से अनुमोदित पूर्व नगर पंचायत सभासद डां. अरुण मिश्रा के निवास पर कार्यकर्ता परिचय एवं स्वागत का समारोह का।

भाजपा में शामिल मुंगरा बादशाहपुर के बसपा की पूर्व विधायक सुषमा पटेल 2 दिन पहले समाजवादी पार्टी का दामन छोड़कर भाजपा पार्टी में शामिल हुई जगह जगह उनका स्वागत किया जा रहा है इसी दौरान बुधवार को सायं 5:00 बजे भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्यपाल से अनुमोदित पूर्व नगर पंचायत सभासद डॉक्टर अरुण मिश्रा के निवास पर उनका मंडल कार्यकर्ता परिचय एवं स्वागत रखा गया था जिसमें सुषमा पटेल ने पहुंचकर कार्यकर्ताओं का अभिवादन किया एवं डॉ अरुण कुमार मिश्रा ने उपस्थित भाजपा मंडल अध्यक्षों एवं मंत्रियों एवं अन्य नेताओं का परिचय कराया। उसके बाद उन्होंने भाजपा नेताओं से औपचारिक बातचीत में कहा कि समाजवादी पार्टी में एक नेता हैं और यहां जातिवाद की राजनीति है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी में ऐसी कोई बात नहीं है यह दल सबका दल है आया और यहां राजनीत नहीं है। सबका सम्मान एक तराजू पर होता है।


उसके बाद परिचय के दौरान मौजूद मछली शहर के भाजपा जिला अध्यक्ष रामविलास पाल, मंडल अध्यक्ष राजेश कुमार सिंह, कोआपरेटिव के चेयरमैन अजय कुमार सिंह, भैयाराम, चंदन केसरवानी, प्राचार्य सुरेश पाठक शरद उपाध्याय मंडल अध्यक्ष रामपुर, मनोज तिवारी, रमेश दूबे, राजेन्द्र श्रीवास्तव समेत 25 की संख्या में पहुंचे कार्यकर्ताओं एवं नेताओं ने उनको माला देकर स्वागत किया।


पत्रकार वार्ता के दौरान संदेश 24 न्यूज़ ने पूर्व विधायक सुषमा पटेल से जब सवाल दागा कि चंद दिनों पहले जब आप समाजवादी पार्टी में थी तो जौनपुर की पूरी सीट जीता रही थी जिसका वीडियो पूरे जनपद में वायरल हो रहा है इस पर क्या कहना चाहती हैं।

जिसके बाद उन्होंने सवाल का सही जवाब देने के बजाय गोल गोल घुमाने लगी और भाजपा नेताओं के सामने पार्टी की बखान करने में जुटी रही उन्होंने कहा कि भाजपा समान नीतियों के पद चिन्हों पर चल रही है जिसके कारण हमने सपा को छोड़कर भाजपा में आई। भाजपा में हर वर्गों का सम्मान है जबकि समाजवादी पार्टी में केवल एक विशेष जाति के समान है। समाजवादी में न तो बैकवर्ड न तो दलित का सम्मान है। चुनाव में केवल प्रत्याशियों को हराने का काम किया जाता है।

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