जौनपुर। मत्स्य प्रक्षेत्र गुजरताल में कीटनाशक दवाओं से मौत की नींद सुलाई गई बत्तखों की मरने की आंकड़े की संख्या को लेकर वन महकमा उलझ गया है । विशालकाय ताल में प्रजनन के लिए सात समुंदर पार से आने वाली साइबेरियन पक्षी निशाने पर थी जद में चारे के लिए ताल गई बत्तख आ गई । कागज़ी आंकड़ों को दुरुस्त करने में जुटा महकमा बत्तख की मौत ज़हर या शिकारियों द्वारा हुई पुष्टि नही कर सका । अलबत्ता जाँच जारी करने का दावा कर रहा महकमा ने शिकंजा में आने पर आरोपियों के ख़िलाक वन्य जीव अधिनियम के तहत कार्यवाही की बात कही ।
एशिया में स्थान रखने वाला गुजरताल में कई दशक से मेहमान परिंदो का शिकार बेख़ौफ किया जा रहा है। अत्यधिक बर्फ़ पड़ने की वजह से भारत की तरफ़ रुख करने वाली मनोरम स्थल पर अपना ठिकाना बनाने के बाद यहाँ पर प्रजनन करने के बाद मार्च के पहले सप्ताह तक अपने बच्चे के साथ अपने मुल्क रवाना हो जाते है । लेकिन अफसोस की बात ये है कि मेहमान परिंदो को मांस भक्षण प्रेमी अपना निवाला बना रही है । क्षेत्र के गुजरताल, पोरईकला और सर हदीय ताल पर बीच धारा में कीटनाशक दवा चारे के रूप में विसर्जित करते है, दवा खाते ही मदहोश हो जाती है । पुलिस और वन महकमा पक्षियों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम उठाने में नाकाम साबित हो रही है । क्षेत्र निवासी भास्कर सिंह गुजरताल और पोरईकला में बत्तख का कारोबार करते है । कीटनाशक पदार्थ से उनकी बत्तख की मौत हो गई। तीन दिन पहले गुजरताल पर पहले दिन क़रीब दो दर्जन बाद में ये आंकड़ा बढ़ गया।
झूठ बोल रहे है वनविभाग के अधिकारी
जौनपुर, तीन दिन के अंतराल में करीब देढ़ सौ बत्तखों की मौत से वन विभाग और प्रशासन में हड़कम्प मचा हुआ है। महकमा मात्र सत्तरह बत्तख की मौत की बात मान रहा है । इन की मौत कैसे हुई इसकी भी जांच कर विभाग स्पष्ट नही कर सका । हालाकि महकमा की कार्रवाई की बात कह रहा है । बत्तख स्वामी भास्कर सिंह ने वनविभाग की जारी बयान को झूठ बताते हुए कहा कि तीन दीन में करीब देढ़ सौ बत्तख की मौत हुई है, मरने का भी सिलसिला जारी है।