जौनपुर। मछलीशहर से जिला अस्पताल के लिये रेफर प्रसूता का प्रसव रास्ते में हो गया। जिसके बाद प्रसूता निजी अस्पताल संचालक के चंगुल में फंस गयी। निजी अस्पताल संचालक द्वारा 10 हजार रुपये लेने के बाद 15 हजार रुपये के लिए दबाव बनाने लगा तो शिकायत उपजिलाधिकारी से हुई। जब अस्पताल पर जांच करने पहुंचे तो संचालक फरार हो गया। मौके पर पहुंचे उपजिलाधिकारी ने अस्पताल को सीज कर दिया।
बुधवार को जमुहर गाँव निवासी गुलाब की पत्नी पार्वती देवी को प्रसव पीड़ा होने पर एम्बुलेंस की सहायता से सीएचसी लाया गया। जहाँ चिकित्सक ने उनकी हालत गंभीर देख जिला अस्पताल रेफर कर दिया था। किंतु एम्बुलेंस से जिला अस्पताल ले जाते समय बीच रास्ते मे ही उनके पत्नी की डिलवरी हो गई। प्रसव होने के बाद उन्हें स्वास्थ्य कर्मियों की मिली भगत से एक निजी अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया। ईलाज के नाम पर संचालक ने गुलाब से 10 हजार रुपये ऐंठ लिया। जबकि शुक्रवार दोपहर डिस्चार्ज के नाम पर उससे पंद्रह हजार रुपये की और माँग करने लगे। जिसके बाद गुलाब द्वारा मामले की सूचना अधीक्षक आर पी विश्वकर्मा को दी गई। उन्होंने मामले की पूरी जानकारी उपजिलाधिकारी अंजनी कुमार सिंह को दिया। वह पुलिस बल के साथ उक्त निजी अस्पताल पर पहुंच गए। उपजिलाधिकारी के अस्पताल पहुँचने की सूचना जब संचालक को हुई तो वह अस्पताल छोड़ कर फरार हो गया। निजी अस्पताल के कर्मचारी भी अस्पताल का किसी प्रकार का रजिस्ट्रेशन या कागज नही दिखा पाए। जिसके बाद पुलिस टीम की मौजूदगी मे अस्पताल को सीज कर दिया गया। मामले के बाबत सीएचसी के अधीक्षक डॉ.आर पी विश्वकर्मा ने बताया कि मरीज के जिला अस्पताल या सीएचसी नही पहुँचने पर उसकी लगातार खोजबीन की जा रही थी किन्तु दलालों की मिलीभगत से उसे निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। किसके माध्यम से मरीज निजी अस्पताल पहुंचा इसकी छानबीन की जा रही है।
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