मुंगराबादशाहपुर (जौनपुर)। औद्योगिक क्षेत्र सतहरिया इंडस्ट्रियल में स्थित श्री रामलीला समिति सीडा के चौथे दिन सीता हरण ,रावण जटायु युद्ध, राम सुग्रीव मित्रता, सीता की खोज ,लंका दहन व अक्षय कुमार वध रामलीला का मंचन किया गया। पवनसुत श्री हनुमान ने जब रावण की लंका को आग लगाई तो श्रद्धालुओं ने तालियां बजाकर जय श्री राम के जयकारे लगाएं। जिससे सारा रामलीला परिसर राममय हो गया।
समाजसेवी शैलेंद्र साहू ने भगवान श्री राम-लक्ष्मण व हनुमान जी को माला पहनाकर उनकी आरती उतार कर आशीर्वाद लिया । रामलीला की शुरुआत रावण दरबार से हुई। रावण अपने दरबार में मंत्रणा करता रहता है। इसी बीच सुपर्णखा का प्रवेश होता हे। वह उससे पूरी बात सुनता है। अपने गुप्तचरों से वह पूरी जानकारी मांगता है। उसे बताया जाता है कि दोनों वनवासियों का नाम राम और लक्ष्मण है और उनके साथ सीता जी भी है। रावण सीता हरण की योजना बनाता है। वह मारीच को अपने साथ विमान में बैठकर पंचवटी की तरफ जाता है। मारीच को वह स्वर्ण का मृग बनने पर बाध्य करता है। मारीच पहले मना करता है तो रावण उसका वध करने की धमकी देता है। मारीच पहले ही समझ चुका है कि राम साक्षात नारायण है। वह सोचता है कि रावण के हांथ से मरने के बजाए भगवान श्री राम के हाथ मरकर मोक्ष प्राप्त करूं गा।
मारीच स्वर्ण मृग का रूप धरकर सीता के सामने जाता है। सीता उसे देख बेहद प्रसन्न होती हैं। राम से वह मृग को लाने कहती है। राम उसे पकडऩे उसके पीछे दौड़ते हैं। लक्ष्मण इस समय कुटिया की रक्षा करते रहते हैं। अचानक सीता को राम का स्वर सुनाई देता है। वह लक्ष्मण से कहती है कि राम मुसीबत में हैं उन्हें देखने जाओ। लक्ष्मण कुटी के बाहर एक लक्ष्मण रेखा खींचते हैं और सीता जी से उसके बाहर न आने की बात कह कर चले जाते हैं। इधर, रावण साधु का वेश धरकर आता है। वह सुरक्षा कवच को महसूस करता है और सीता से कहता है कि वह बाहर आकर भिक्षा दें। सीता जैसे ही कदम बाहर रखती हैं रावण अपने असली रूप में आता है और सीता का उठाकर ले जाता है। वन में जटायु यह देखता है तो वह सीता को बचाने रावण से युद्ध करता है, लेकिन रावण उसे भी मारता है।
इधर, कुटिया में वापस आए राम-लक्ष्मण वहां सीता को न पाकर व्याकुल हो उठते हैं। खोज में जाते हुए उन्हें घायल जटायु मिलते हैं वे बताते हैं कि लंकापति रावण ही सीता जी का हरण करके ले गया है। इधर, सीता की खोज में आगे बढ़ते हुए राम का शबरी से मिलन होता है। वहीं, राम-सुग्रीव मित्रता में किष्किंधा पर्वत पर निराश्रित जीवन यापन कर रहे सुग्रीव ने जब जंगल में राम और लक्ष्मण को भटकते हुए देखा तो हनुमान को उनका भेद जानने के लिए भेजा। हनुमान श्रीराम और लक्ष्मण की सही जानकारी लेकर उन्हें सुग्रीव से मिलाते हैं। इस प्रकार हनुमान श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता करा देते हैं। इस पर राम सुग्रीव को बाली का वध कर उसे राजा बनाने का वचन देते हैं। इसके बाद श्रीराम बाली का वध कर देते हैं। राजा बनने के बाद सुग्रीव सेना को आदेश देता है कि सीता माता की खोज चारों दिशाओं में की जाए।वहीं, अशोक वाटिका में दिखाया गया कि हनुमान सीता माता की खोज के लिए समुद्र को पार कर लंका में प्रवेश कर जाते हैं, जहां उनकी भेंट विभीषण से होती है। विभीषण से उन्हें अशोक वाटिका का पता चलता है। यहां पहुंचकर वह माता सीता से भेंट करते है। इसके बाद हनुमान को भूख लगती है तो वह समस्त अशोक वाटिका को उजाड़ देेते हैं और रावण के पुत्र अक्षय कुमार को मार देते हैं। इसके बाद मेघनाद ब्रह्मफास में हनुमान को बांधकर रावण के पास ले जाता हैं। इसके बाद रावण दरबार में हनुमान और रावण संवाद का दृश्य दिखाया गया। रावण ने हनुमान की पूंछ पर आग लगाने का आदेश दिया। इसके बाद हनुमान लंका को तहस-नहस कर देते हैं, सोने की लंका पल भर में जलकर राख हो जाती है। संचालन प्रवक्ता संजय सिंह ने किया। अध्यक्ष विकास सिंह व सचिव राजेश सिंह ने आए हुए आगंतुकों के प्रति आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर इंद्र बहादुर मौर्या ,कमला शंकर बिंद , सुनील कुमार यादव, दिनेश प्रजापति, राहुल दुबे, अंबिका सिंह ,आशुतोष मिश्रा, चंदन सिंह, आशीष यादव , राम आसरे, महेंद्र प्रताप श्रीवास्तव, कैलाश जायसवाल , राजेश आदि लोग मौजूद रहे।