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फोटो-डॉ देवब्रत मिश्र को सम्मानित करते मंत्री एवम अन्य

जौनपुर। जिले के दो लाल हबिटीयू कानपुर में आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में हुए सम्मानित

जौनपुर(24दिसबंर)। हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी कानपुर में आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में जनपद के दो प्रोफेसरों को मिला सम्मान।

फोटो-डॉ देवब्रत मिश्र को सम्मानित करते मंत्री एवम अन्य

कानपुर में 22 एवं 23 दिसंबर को आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में पर्यावरण एवं समाज विषयक विषय पर टी डी कॉलेज जौनपुर के प्राणि विज्ञान के उपआचार्य डॉ देव ब्रत मिश्रा ने कृषि, जैव विविधता एवं पर्यावरण की सामाजिक आर्थिक चुनौतियों के संदर्भ में पर्यावरण के बचाव में समाज,कानून एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण के महत्व पर अपना विचार प्रस्तुत किये।
संगोष्ठी में डॉ. मिश्रा रिसोर्स पर्सन के रूप में आमंत्रित थे, इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में डॉ मिश्र को उनके उत्कृष्ट शोध पत्र पर आई टी एस कानपुर,ए बी आर एफ इंडिया, एवं डिपार्टमेंट ऑफ बॉयोटेक्नोलॉजी भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में प्रतिष्ठित गेसा नई दिल्ली ने फेलोशिप से उत्तर प्रदेश सरकार के जेल व लोक प्रबंधन मंत्री श्री जय सिंह , एच बी टी यू के कुलपति प्रोफेसर नरेंद्र बहादुर सिंह, डॉ. मेनका वर्मा द्वारा सम्मानित किया गया। इसके पूर्व में भी डॉ मिश्र को प्राणि विज्ञान में नवाचार एवं शोध के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कई बार पुरस्कृत किए जा चुके है, डॉ. मिश्र के लगभग पचास शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में छप चुके है।

फोटो- डॉ मनोज वत्स को पुरस्कार देते हुए मंत्री एवं कुलपति 

वही राजा श्री कृष्ण दत्त महाविद्यालय के असि. प्रोफेसर डॉ मनोज वत्स ने इस संगोष्ठी में रिसोर्स पर्सन के रूप में पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए भारत सरकार के द्वारा बनाये गए कानून एवं प्रत्येक नागरिक द्वारा पर्यावरण को कैसे संरक्षित किया जा सकता हैं। विषय पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया।,डॉ वत्स ने अपने शोध पत्र में इस बात पर विशेष जोर दिए कि पर्यावरण, जैव विविधता, कृषि को उन्नति करके कैसे सामाजिक आर्थिकता बढ़ाई जा सकती हैं। डॉ. मनोज वत्स को उत्कृष्ट शोध के लिए इन्नोवेटिव एजुकेशनिस्ट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। डॉ. वत्स को पर्यावरण एवं सामाजिक समरसता के लिए इसके पूर्व में भी राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। डॉ. वत्स के लगभग दो दर्जन से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हो चुके है।

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